जहानाबाद. जिले में चलने वाली आम यात्री बसों में भी यात्रियों को ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है, जिसके कारण बस में यात्री जानवरों की तरह एक दूसरे पर लदे हुए नजर आते हैं. कई बार स्थिति यह होती है कि एक बार बस की भीतर चले जाने पर कोई भी यात्री बस के अंदर हिलडुल भी नहीं पता है. बस के भीतर का हाल यह होता है कि दोनों ओर की सीटों के बीच की जगह से लेकर गेट तक यात्रियों को जानवरों की तरह ठूंस-ठूंस इस तरह चढ़ा लिया जाता है कि उसके बाद तिल रखने की भी जगह नहीं बचती है. बस की गेट पर भी बड़ी संख्या में यात्री लटके हुए रहते हैं. अगर किसी स्टॉपेज पर बस के अंदर से किसी यात्री को उतारना होता है, तो पहले गेट पर लटके हुए यात्रियों को बस से सड़क पर उतर जाता है, उसके बाद ही भीतर से यात्री अपने स्टॉपेज पर उतर पाते हैं. यह मंजर जहानाबाद जिला मुख्यालय से जिले के सभी रूटों में चलने वाली बसों में नजर आता है. यहां तक कि लंबी दूरी की बसों में भी बस संचालक और कंडक्टर सीट पर तो लंबी दूरी के पैसेंजरों को बैठाते हैं लेकिन सीटों के बीच खाली जगह और आने में जाने वाले रास्ते पर पटना और गया के पैसेंजर को खड़ा कर देते हैं और उनसे पटना और गया का भाड़ा वसूलते हैं. इस तरह बसों में ठूंस ठूंस कर भरे गए यात्री भारी सफोकेशन महसूस करते हैं और उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत महसूस होती है. गर्मी के मौसम में तो इस तरह यात्रा करने में लोगों का पूरा शरीर पसीने से तर ब तर हो जाता है, बावजूद इसके ऐसे बसों और उनके संचालकों के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती है. जबकि परिवहन विभाग के नियमानुसार ऐसी बसों के खिलाफ भारी जुर्माना का प्रावधान है. जहानाबाद जिले में ट्रकों और छोटे मालवाहक वाहनों की जांच कर नियमों का उल्लंघन करने पर उनसे जुर्माना वसूला जाता है किंतु बसों के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जाती या अभियान नहीं चलाया जाता, जिसके कारण बस संचालक और बस कंडक्टर बसों में ओवरलोडिंग को अपना अधिकार समझते हैं, किंतु इस स्थिति में बसों में यात्रा करने वाले पैसेंजरों की जान पर बन आती है. खुदा ना खस्ता कहीं बस दुर्घटना होती है, तो सीटों के बीच खड़े पैसेंजर ही ज्यादातर इसके शिकार होते हैं. मृतकों में अधिकांश मामलों में बस में खड़े या गेट पर लटके पैसेंजर के नाम ही सामने आते हैं. घायलों में भी ऐसे ही पैसेंजरों की संख्या सबसे अधिक होती है. प्रशासन द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण यात्री भी बसों में यात्रा करने की यही नियति मान बैठे हैं. बस की सीट फुल होने पर कोई भी बस स्टैंड से नहीं खोली जाती है, जब तक की उसके सीटों के बीच और रास्ते में ठूंस-ठूंस कर पैसेंजरों को नहीं भर लिया जाए. बस स्टैंड से खोले जाने के बाद भी बस चालक उन खाली जगह में पैसेंजरों को ठूंस-ठूंस कर भरने के लिए बस स्टैंड से 10 कदम आगे बस खड़ी कर देता है, जब तक उसकी पूरी बस यात्रियों से खचाखच भर कर पूरी तरह पैक नहीं हो जाए. बसों के खिलाफ कोई अभियान नहीं चलाया जाता तो ऐसे में बस कंडक्टर और संचालक को जिला प्रशासन या परिवहन विभाग से कोई डर भी नहीं होता कि इसके लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी की जायेगी. बसों में ओवरलोडिंग करने पर क्या है जुर्माने का प्रावधान : ट्रकों, छोटे वाहनों या अन्य सवारी गाड़ियों में ओवरलोडिंग किए जाने पर परिवहन विभाग के द्वारा जुर्माना वसूला जाता है. इसी तरह यात्री बसों में भी सीटिंग कैपेसिटी से अधिक यात्रियों को बस के अंदर लेने पर बस संचालक से जुर्माना वसूले जाने का प्रावधान परिवहन विभाग के एमवीआई एक्ट में है. किसी यात्री बस में कंपनी द्वारा निर्धारित सीट की कैपेसिटी से अधिक यात्रियों को चढ़ाये जाने पर मिनिमम 10000 रुपये का जुर्माना किए जाने तथा सीटिंग कैपेसिटी से अधिक प्रति यात्री 200 रुपये का जुर्माना वसूले जाने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा उसे पर 2000 रुपये का जुर्माना नियम का उल्लंघन किये जाने के कारण लगाया जाता है, बावजूद इसके कार्रवाई नहीं होने के कारण बस संचालक धड़ल्ले से अपनी वर्षों में यात्रियों को ठूंस-ठूंस कर भरने से बाज नहीं आते हैं.
जिलाधिकारी के साथ सड़क सुरक्षा की बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई है. ओवरलोडिंग करने वाले यात्री बसों के खिलाफ भी अभियान चलाया जायेगा.
अविनाश कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी, जहानाबाद
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