कुर्था
. बाल विवाह मानवीय मूल्यों के खिलाफ है और कानूनी अपराध भी. उक्त बातें बुधवार को कुर्था प्रखंड क्षेत्र के प्राचीन सूर्य मंदिर धाम में बिहार सरकार के निर्देश पर बाल विवाह के खिलाफ धर्मगुरु अक्षय तृतीया अभियान के तहत चलाये जा रहे जागरूकता अभियान को संबोधित करते हुए सीडीपीओ शिप्रा वर्मा ने कही. साथ ही उन्होंने कहा कि बाल विवाह के बाद लड़की का शिक्षा और स्वास्थ्य अपने घर की तुलना में ससुराल में ज्यादा परेशान होती है. ये सच है कि बच्चे ज़रूरी हैं लेकिन बस इतने जितने आप सम्भाल सको, न कि बस भगवान की कृपा समझकर बस बढ़ाते जाओ. बिना उनके भविष्य के बारे में जाने उस हिसाब से देखें तो मां- बाप यदि बच्चे की परवरिश सही से नहीं कर पा रहे ऐसे में उनके पास न तो दूसरा बच्चा होगा और यदि होगा तो क्या उसे भी इसी तरह आगे बढ़ा देंगे. बेटा होगा तो बिल्कुल भी नहीं फिर बेटी है तो बस जल्दी से बोझ उतारो वाली धारणा बनी हुई है. आज भी बहुत हद तक लोग यही सोचते हैं कि बस ये एक काम है इसे जितनी जल्दी निबटा दो, उतना सही. जबकि शादी के बाद भले ही ससुराल वाले कितने पैसे वाले हों, केवल उनके कह देने भर को सच नहीं मान लिया जाना चाहिए. शुरू-शुरू में सब कहते हैं फिर सबको बहू के फ़र्ज़ याद आ जाते हैं. कम से कम लड़की को इतना मौक़ा तो मिलना चाहिये अगर पढ़ाई में अच्छी हो तो सब रास्ते अपने आप खुल जाते हैं. बस मां-बाप का दिमाग़ खुला होना चाहिए, इसलिए बाल विवाह कभी भी नहीं करना चाहिए. इस मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी निशा कुमारी, कुर्था सूर्य मंदिर कमेटी के अध्यक्ष अशोक चौरसिया, कुर्था सूर्य मंदिर धाम के पुरोहित पं सतीश उपाध्याय समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है