अरवल़ बिजली विभाग की लापरवाही और मनमाने रवैये का ताजा मामला रामपुर चाय से सामने आया है, जहां एक निर्दोष व्यक्ति को बिजली चोरी के मामले में फंसा दिया गया. पटना हाईकोर्ट ने इसे कानूनी प्रक्रिया का खुला दुरुपयोग मानते हुए एफआइआर पर आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. जानकारी के अनुसार, रामपुर निवासी श्रीमन नारायण को बिजली चोरी के आरोप में नामजद किया गया, जबकि वे उस स्थान पर रहते ही नहीं हैं. हैरानी की बात यह है कि उनके जीवित पिता रामनिवास शर्मा को प्राथमिकी में ‘स्वर्गीय’ दर्शा दिया गया. जिस घरेलू कनेक्शन से चोरी का आरोप है, वह भी उनके पिता के नाम पर है. मामला सामने आने के बाद कनीय अभियंता को जब हकीकत का पता चला तो उन्होंने प्राथमिकी बदलने के लिए थाने में आवेदन दिया, जबकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. हाइकोर्ट ने सुनवाई के दौरान विभाग की इस लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए करपी के कनीय अभियंता संजय कुमार और साउथ बिहार पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी किया है. साथ ही शहरतेलपा थाने में दर्ज एफआइआर संख्या 32/2025 पर आगे की कार्रवाई रोकने का आदेश दिया है. यह मामला बिजली विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है और दर्शाता है कि विभागीय लापरवाही और गलत इरादों से निर्दोष को भी कानूनी पचड़े में फंसाया जा सकता है.
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