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जिले के 15 प्राथमिक विद्यालयों के पास न तो जमीन और न ही भवन

िक्षा की ललक हर तबके के बच्चों में जगी है. स्कूलों में बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन अरवल जिले में ऐसे भी सरकारी विद्यालय हैं जिनको अपना भूमि और भवन नसीब नहीं है. उन विद्यालयों को शिक्षा विभाग भले ही दूसरे विद्यालय में शिफ्ट कर किसी तरह संचालित कर रही है. लेकिन भूमिहीन विद्यालयों के शिक्षक व बच्चों में आज भी निराशा है.

अरवल. शिक्षा की ललक हर तबके के बच्चों में जगी है. स्कूलों में बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन अरवल जिले में ऐसे भी सरकारी विद्यालय हैं जिनको अपना भूमि और भवन नसीब नहीं है. उन विद्यालयों को शिक्षा विभाग भले ही दूसरे विद्यालय में शिफ्ट कर किसी तरह संचालित कर रही है. लेकिन भूमिहीन विद्यालयों के शिक्षक व बच्चों में आज भी निराशा है.

विभाग की ओर से भूमिहीन विद्यालयों को दूसरे विद्यालय में टैग कर किया जा रहा संचालित

जानकारी हो कि अरवल जिले में 15 ऐसे प्रारंभिक विद्यालय हैं जिसको अबतक न तो भूमि मिला है ना अपना भवन का सपना पूरा हुआ है. विभाग द्वारा दूसरे विद्यालय में टैग कर इन भूमिहीन विद्यालयों को चलाया जा रहा है. खास बात यह है कि शिक्षा विभाग विगत कई वर्षों से भूमिहीन विद्यालयों के लिए जमीन खोजने के लिए सीओ को पत्र लिख रहा है. लेकिन सीओ को न जमीन मिल रही है न कोई इसमें रुचि ले रहे हैं. शिक्षा के मंदिर में सक्रिय राजनीति करने वाले विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्य से लेकर स्थानीय प्रतिनिधियों ने भी जमीन खोजने की कभी पहल नहीं की है. हाल यह है कि भूमिहीन विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक पढ़ रहे करीब दस हजार बच्चे जमीन पर बैठकर आसमां छूने का ख्वाब देख रही हैं. जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं छात्र-छात्राएं : राज्य सरकार ने छह से 14 वर्ष के हर बच्चे को शिक्षा से जोड़ने के लिए शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया है, साथ ही स्कूलों में गुणवत्ता के साथ नौनिहालों को शिक्षित करने के लिए समझे-सीखें कार्यक्रम शुरू किया गया है, लेकिन अरवल जिले में अब भी 15 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में वर्ग एक से पांच तक के छात्र-छात्राएं जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. जिले के 15 भूमिहीन विद्यालयों में पढ़ रहे करीब तीन हजार से अधिक बच्चे जमीन पर बस्ता रखकर पढ़ने को विवश हैं. इन भूमिहीन विद्यालयों को लंबे समय से जमीन की तलाश है.

इन विद्यालयों को नहीं मिली जमीन

नवसृजित प्राथमिक विद्यालय सुकनबिगहा, नवसृजित विद्यालय मिल्की टोला झरीबिगहा, प्राथमिक विद्यालय बाला बाजार, नवसृजित विद्यालय बेलखरी मठिया, नवसृजित विद्यालय देवकुली, नवसृजित विद्यालय लडौआ, नवसृजित विद्यालय मुरला बिगहा, नवसृजित विद्यालय दिलावलपुर डीह, नवसृजित विद्यालय बालाबिगहा, नवसृजित विद्यालय मुरादपुर चौकी, नवसृजित विद्यालय लेखा बिगहा, नवसृजित विद्यालय अगनूर चौकी, नवसृजित विद्यालय जगमोहन बिगहा, नवसृजित विद्यालय भुआपुर, नवसृजित विद्यालय कृपाबिगहा को विद्यालय भवन बनाने के लिए जमीन नहीं मिल रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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