Bihar: पहाड़ों के बीच से निकली गुफा और गुफा से जुड़ी एक कहानी. जमुई जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बिहार-झारखंड सीमा पर कपलो गांव में घने जंगलों के बीच गुफा में मां बुढ़ेश्वरी का मंदिर स्थित है. यह मंदिर स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर दराज के लोगों के लिए सैकड़ों वर्षों से असीम आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर के दरवाजे का अगला हिस्सा श्रद्धालुओं के प्रवेश के लिए बहुत ही सहज है, जबकि अंदरूनी हिस्सा बहुत ही संकीर्ण है. यही वजह है कि कोई भी श्रद्धालु या ग्रामीण इस मंदिर की गहराई का पता नहीं लगा पाए.
मंदिर की मान्यता
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के अंदर गर्भ गृह के अंतिम छोर पर नाग- नागिन का जोड़ा रहता है. मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा माता की पूजा अर्चना के बाद दिव्य शक्ति के बल पर नाग के इस जोड़े को प्रत्येक दिन अपनी जांघ पर बैठाकर दूध पिलाया और लावा खिलाया जाता था. इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. यहां से लोगों की असीम आस्था जुड़ी हुई है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों के अनुसार श्रद्धालु प्रत्येक दिन इस मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है और इच्छित मनोकामना की पूर्ति के बाद प्रसाद भी चढ़ाया जाता है. इस मंदिर के पास हर साल अगहन महीने की दशमी तिथि को भव्य मेला लगता है. इस दौरान मां बूढ़ेश्वरी का भव्य तरीके से पूजा अर्चना और श्रृंगार किया जाता है.
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संसाधनों का अभाव
इस मंदिर के साथ बिहार झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ दूर दराज के लोगों का भी श्रद्धा और विश्वास जुड़ा हुआ है. लेकिन इस बीहड़ जंगल में स्थित इस धार्मिक स्थल पर संसाधनों का घोर अभाव है. जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं के बैठने, पीने के लिए पानी और रात्रि में प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं है. जिस वजह से पूजा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
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