खैरा. सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ए-समवाय परासी की ओर से वंदे मातरम राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. मौके पर एसएसबी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजसेवा के क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सराहनीय पहल की. कार्यक्रम के तहत एक ओर जहां उच्च विद्यालय धनवे और हरणी पंचायत के सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित रारोडीह गांव में वंदे मातरम का सामूहिक गायन कराया गया, वहीं दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीणों के लिए मेडिकल सिविक एक्शन प्रोग्राम का आयोजन भी किया गया. कैंप का संचालन सहायक कमांडेंट एवं चिकित्सा अधिकारी हरिकृष्ण मेनन आर के. की देखरेख में किया गया. कैंप में रारोडीह, आरोडीह, हरदिया और बीरगोंडा गांवों के 49 गरीब व जरूरतमंद ग्रामीणों का मुफ्त इलाज किया गया और उन्हें निशुल्क दवाइयां भी उपलब्ध करायी गयी. स्थानीय लोगों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य जागरूकता और विश्वास दोनों बढ़ता है. इस मौके पर ए-समवाय के कमांडर निरीक्षक पंकज कुमार समेत एसएसबी के कई अधिकारी और जवान मौजूद थे. चिकित्सा अधिकारी हरिकृष्ण मेनन ने बताया कि सशस्त्र सीमा बल न सिर्फ सुरक्षा और नक्सल उन्मूलन के लिए कार्य कर रही है, बल्कि समाजसेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में भी अग्रसर है. बल के जवान नियमित रूप से सुदूरवर्ती इलाकों में जाकर लोगों से संवाद करते हैं, उन्हें स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा के प्रति जागरूक बनाते हैं. उन्होंने कहा कि “एसएसबी का उद्देश्य केवल सीमा सुरक्षा नहीं, बल्कि सेवा, सुरक्षा और बंधुत्व की भावना को आगे बढ़ाना है.” यही कारण है कि नक्सल प्रभावित इलाकों के लोग आज एसएसबी पर भरोसा करते हैं और इसे अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

