सोनो . बलथर स्थित बरनार नदी के घाट के किनारे पर बड़ी मात्रा में जली और अधजली दवाइयां के साथ साथ कुछ मेडिकल वेस्ट फेंके हुए मिले हैं. घाट के किनारे झाड़ियों व घास के बीच दवाइयों के पैकेट, लिक्विड दवा की शीशियां, ट्यूब और टैबलेट्स के स्ट्रिप बिखरे पड़े थे. इनमें कई एक्सपायर्ड दवा भी थी. ऐसा प्रतीत हो रहा था कि किसी ने नदी किनारे लाकर इन दवाइयों और मेडिकल वेस्ट को रखकर उसे जलाने का प्रयास किया. इसमें कुछ दवा जली और कुछ दवाएं अधजली रह गयी. रविवार की सुबह ग्रामीणों ने झाड़ियों की ओर घास और मिट्टी में सिरप की बोतलें, टैबलेट स्ट्रिप्स, इंजेक्शन और मलहम के ट्यूब के साथ साथ अन्य मेडिकल सामान बिखरे हुए देखे. कई ग्रामीणों का मानना है कि फेंकी गयी दवा संभवतः सरकारी अस्पताल की हो सकती है, या फिर किसी मेडिकल स्टोर या निजी अस्पताल से भी दवाइयां फेंकी गयी हों. हालांकि यह जांच का विषय है. ग्रामीणों को यूं खुले में एक्सपायर्ड दवा व मेडिकल कचरा बिखरे होने से चिंता सताने लगी. घास खाने इधर मवेशी भी आते हैं जिन्हें इस मेडिकल कचरे से नुकसान हो सकता है. कई बुद्धिजीवी इसे नदी की सफाई पर खतरा भी मान रहे हैं. लिहाजा यह जैविक और रासायनिक प्रदूषण का गंभीर मामला बन सकता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मेडिकल कचरा पास के किसी क्लिनिक, अस्पताल या फार्मेसी से लाकर घाट पर फेंका गया होगा. इससे पर्यावरण को नुकसान होगा. यह नदी के जल के साथ साथ ग्रामीण आबादी और पशुओं की सेहत के लिए खतरा बन सकता है. पर्यावरण के जानकार भी मानते हैं कि इस तरह खुले में दवाइयों और मेडिकल कचरे का निस्तारण जल स्रोतों को प्रदूषित कर सकता है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शशि भूषण चौधरी बताते है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. फेंकी गई दवा की जांच के उपरांत ही बताया जा सकता है कि दवा सरकारी अस्पताल का है या निजी दुकान का. इधर स्थानीय लोगों ने प्रशासन से जांच की मांग की है ताकि गैर जिम्मेदाराना हरकत करने वाले पर कार्रवाई हो सके.
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