Open Jail Jharkhand : डीजीपी तदाशा मिश्रा बुधवार को हजारीबाग ओपन जेल पहुंचीं. उन्होंने तीन घंटे तक ओपन जेल का निरीक्षण किया. सरेंडर नीति के तहत ओपन जेल में बंद 90 नक्सलियों से बातचीत की. उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधा की भी जानकारी ली. सरेंडर पॉलिसी के तहत नक्सली बंदियों के लिए बनाये सभी कॉटेज की जांच की. ओपन जेल के अंदर हो रहे कार्यों का भी जायजा लिया. डीजीपी ने ओपन जेल के सभी बंदियों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. इस दौरान उन्होंने ओपन जेल के सभी बंदियों के बीच कंबल का वितरण भी किया. नक्सली बंदी के बच्चों को फल व स्वेटर दिये.
डीजीपी ने ओपन जेल के निरीक्षण के बाद 20 एकड़ में बन रहे हाइ सिक्युरिटी जेल का भी जायजा लिया. उन्होंने कहा कि ओपन जेल सरकार ने आत्मसमर्पण करनेवाले नक्सली बंदियों के पुनर्वास के लिए बनाया है. जहां नक्सली बंदी अपने परिवार के साथ रहते हैं. डीजीपी ने कहा कि नक्सली आत्मसमर्पण करें और अपने परिवार के साथ ओपन जेल में बेहतर जीवन व्यतीत करें. सरकार उनके परिवार और बच्चों को भी सभी मूलभूत सुविधा मुहैया कराती है. उनकी छोटी-बड़ी जरूरतों को भी पूरी करती है. निरीक्षण में डीसी शशि प्रकाश सिंह, जेल आइजी सुदर्शन मंडल, एसपी अंजनी अंजन, जेल अधीक्षक सीपी सुमन, एसडीओ समेत अन्य अधिकारी शामिल थे.
संगठित अपराध पर नकेल कसने का निर्देश
डीजीपी ने कहा कि झारखंड के विभिन्न जेलों में बंद अपराधियों द्वारा जेल से ही व्यवसायियों, कोल कंपनियों व संवेदकों से रंगदारी व लेवी वसूली के लिए मोबाइल पर धमकी दिये जाने की शिकायतें मिल रही थीं. राज्य की पुलिस और जेल प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई के बाद इन अपराधों पर अंकुश लगा है. उन्होंने सर्किट हाउस में जिले के आलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. पुलिस पदाधिकारियों को बढ़ते संगठित अपराध पर विराम लगाने को कहा.
कैदियों के पुनर्वास के उद्देश्य से खोला गया है ओपन जेल
हजारीबाग मे ओपन जेल का उदघाटन नवंबर 2013 में हुआ था. यह जेल कैदियों के पुनर्वास के उद्देश्य से खोला गया है. ओपन जेल में कैदियों के लिए 100 कॉटेज हैं. वर्तमान में ओपन जेल में 90 नक्सली बंद हैं. इनमें कई नक्सली अपने बच्चे व परिवार के साथ जीवन बसर कर रहे हैं.

