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गुलाबी ठंड में साइबेरियन मेहमानों से गुलजार हुआ नागी–नकटी

नागी और नकटी पक्षी आश्रयणी एक बार फिर जीवंत हो उठा है.

ऋताम्बर कुमार सिंह,

झाझा

गुलाबी ठंड के दस्तक देते ही नागी और नकटी पक्षी आश्रयणी एक बार फिर साइबेरियन परिंदों के कलरव से जीवंत हो उठे हैं. दूर-दूर से आए प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी ने पूरे क्षेत्र को मानो जीवंत कर दिया है. पक्षियों की चहचहाहट और जल में उनके कलात्मक उड़ानें सैलानियों को अनायास ही अपनी ओर खींच रही हैं. नागी पक्षी अभयारण्य अब राज्य के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शुमार होने लगा है. बिहार ही नहीं, झारखंड, बंगाल, महाराष्ट्र, से लेकर देशभर के सैलानी यहां पहुंचकर मनोरम प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले रहे हैं. अभयारण्य के बीच स्थित टापूनुमा भूमि, चारों ओर फैली हरियाली और शांत वातावरण इसे और भी मनमोहक बनाता है.

साइबेरियन पक्षियों के आगमन ने बढ़ाई रौनक

अक्टूबर की शुरुआत के साथ ही नागी–नकटी की खूबसूरती में अलग निखार आने लगता है. ठंड बढ़ने पर जलाशय में प्रवासी पक्षियों की संख्या भी बढ़ जाती है. बुटेड ईगल जैसी दुर्लभ प्रजाति के दिखने से वन्यजीव प्रेमियों और रिसर्चरों में उत्साह दिख रहा है. 510 एकड़ में फैले नागी ने पिछले एक दशक में बड़ी बदलाओं को देखा है. कभी नक्सलियों का गढ़ रह चुका इलाका आज देश के बड़े बर्ड-वॉचिंग हॉटस्पॉट में शामिल हो चुका है.

शोधार्थियों की पसंद बन चुका है नागी

तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र, कोलकाता, पुणे सहित कई नामी संस्थानों के शोधार्थी यहां जल, वनस्पति, मिट्टी, पहाड़ियों और पक्षियों पर अध्ययन करने लगातार पहुंच रहे हैं. नागी के उत्तरी भाग की दुर्लभ चट्टान देश में तमिलनाडु के समान विरल भूगर्भ संरचना मानी जा रही है, जो भूविज्ञानियों को आकर्षित कर रही है.

प्रदूषण रहित जल-नागी की सबसे बड़ी पहचान

नागी का जल इतना स्वच्छ है कि 4 से 5 फीट गहराई तक जलीय पौधे और जमीन की परतें साफ दिखाई देती हैं. वनस्पति विशेषज्ञ बताते हैं कि आसपास के इलाके में औषधीय गुणों वाले अनेक पौधे पाए जाते हैं, जिन्हें आगे शोध के लिए विकसित किया जा सकता है.

सैलानियों के लिए आकर्षण-पहाड़, सड़क, टावर और टापू

नागी आने वाले पर्यटकों के लिए कई आकर्षक स्थल हैं:

उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र, जहां की प्राकृतिक शिल्पकला अद्भुत प्रतीत होती है.

घूमने–टहलने के लिए चौड़ी सड़क, जिस पर कई क्षेत्रीय फिल्मों की शूटिंग भी की गई है.

दक्षिणी छोर की गोलाकार छतरी, जहां से पूरा नागी एक नजर में दिखता है.

लगभग 25 फीट ऊंचा टावर, जिस पर चढ़कर सैलानी चारों ओर का दृश्य कैमरे में कैद करते हैं.

वन विभाग की निगरानी में सैलानी यहां सुरक्षित तरीके से भ्रमण करते हैं.

नागी पहुंचना आसान-बेहतर सड़क कनेक्टिविटी

नागी पक्षी अभयारण्य सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है.

जमुई मुख्यालय से 31 किमी

जमुई रेलवे स्टेशन से 28 किमी

झाझा से 12 किमी

पटना से 200 किमी, देवघर से 80 किमी, भागलपुर से 100 किमी

गिद्धौर–केशवपुर मोड़–काबर मार्ग सबसे सुगम माना जाता है.

नाव और राफ्टर की सुविधा उपलब्ध

वन विभाग की ओर से नाव और राफ्टर की विशेष व्यवस्था की गयी है.

प्रवेश शुल्क: बच्चों के लिए 10 रुपये, बड़ों के लिए 20 रुपये (6 घंटे वैध)

नौकायन शुल्क: प्रति व्यक्ति 50 रुपये (30 मिनट)

बर्ड गाइड संदीप कुमार के अनुसार, इन सुविधाओं के कारण सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

ठंड के दस्तक के साथ ही नागी–नकटी एक बार फिर प्रकृति प्रेमियों, पर्यटकों और शोधार्थियों के लिए रोमांचक गंतव्य बन चुका है. यहां की शांत जलराशि, स्वच्छ वातावरण और प्रवासी पक्षियों का संगम इसे बिहार के सबसे सुंदर प्राकृतिक स्थलों में खास पहचान दिला रहा है.

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