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चकाई विस के प्रतिनिधित्व से हमेशा वंचित रहा है जदयू

जदयू के चकाई विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने का सपना अब तक पूरा नहीं हो सका. तमाम अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद यह सीट जदयू से छिटक जा रहा है.

कई प्रयासों के बावजूद चकाई से जीत का स्वाद नहीं चख सका जदयू

सोनो. जदयू के चकाई विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने का सपना अब तक पूरा नहीं हो सका. तमाम अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद यह सीट जदयू से छिटक जा रहा है. इस बार भी ऐसा ही हुआ. एनडीए की लहर और जदयू के खाते में सीट आने के साथ-साथ सीटिंग मंत्री के जदयू से प्रत्याशी बनाए जाने के बावजूद यह सीट जदयू के पाले में नहीं आ सका और राजद की यहां जीत हुई. इस बार जदयू समर्थकों को उम्मीद थी कि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पिछला चुनाव जीत चुके सुमित सिंह जदयू को पहली जीत दिला सकते हैं, लेकिन नतीजों ने उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया. 2005 के मध्यावधि चुनाव में जदयू ने पहली बार अर्जुन मंडल को प्रत्याशी बनाया था. भाजपा के फाल्गुनी प्रसाद यादव से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 2010 में सीट एनडीए में लोजपा के खाते में चली गई और लोजपा से चुनाव लड़ रहे विजय सिंह को जेएमएम के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे सुमित सिंह ने शिकस्त दिया था. 2015 में महागठबंधन के तहत राजद से सावित्री देवी चुनाव लड़ीं और निर्दलीय सुमित सिंह को शिकस्त दी. फिर 2020 में जदयू ने पूर्व एमएलसी संजय प्रसाद को मैदान में उतारा लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे और निर्दलीय सुमित सिंह ने जीत हासिल की. बाद में सुमित सिंह के द्वारा नीतीश सरकार को समर्थन दिया गया जिस कारण उन्हें सरकार में मंत्री पद भी मिला. 2025 के चुनाव में जदयू ने पूरा विश्वास मंत्री सुमित सिंह पर जताया, लेकिन एनडीए की लहर के बावजूद इस बार भी राजनीतिक समीकरण जदयू के पक्ष में नहीं जा सका और एक बार फिर जदयू यहां से खाली हाथ रहा.

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