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कक्षा आठ के बाद आगे की पढ़ाई छोड़ रहीं बेटियां

नक्सल प्रभावित क्षेत्र की बेटियों की उम्मीद कस्तूरबा विद्यालय में कक्षा छह से आठ तक की ही पढ़ाई की व्यवस्था

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बरहट. प्रखंड के पचेश्वरी गांव में संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय अनुसूचित जाति और जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के साथ गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार की बच्चियों के लिए शिक्षा की एक अहम केंद्र है. विद्यालय में कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई हो रही है. पर इससे आगे की पढ़ाई की यहां व्यवस्था नहीं है. इससे बेटियों को पढ़ाई छोड़नी पड़ रही है. वर्तमान में यहां 100 छात्राएं नामांकित हैं और अब तक 44 छात्राएं सफलता पूर्वक उत्तीर्ण हो चुकी हैं. विद्यालय में एक वार्डन, दो शिक्षिकाएं, एक आदेशपाल, एक लेखपाल और तीन रसोइयों की नियुक्ति की गयी है, जो सीमित संसाधनों में भी बच्चियों को शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं.

अब तक नहीं हो पाया विद्यालय में टाइप थ्री भवन का निर्माण

विद्यालय से पास आउट हो चुकी 8वीं की छात्रा सीमा, बिंदु , सुगंटी, चंपा, रिशु तथा 7वीं की छात्रा सीता, सरस्वती, कंचन, निक्की ने बताया कि नक्सल प्रभावित गुरमाहा, चोरमारा, जामुनियांटाड और पैसरा जैसे दुर्गम गांवों की बच्चियों के लिए शिक्षा का एकमात्र सहारा यह कस्तूरबा विद्यालय है. हालांकि सुविधाओं की कमी आज भी इसकी सबसे बड़ी समस्या है. वहीं यहां कक्षा 8 के बाद की पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं है. विद्यालय में टाइप थ्री भवन का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है. इसके चलते बच्चियों को आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे प्रखंडों के विद्यालयों में जाना पड़ता है. यह स्थिति बच्चियों के उज्ज्वल भविष्य पर सीधा असर डाल रहा है. जब बच्चियों को अपने गांव या आसपास ही उच्चतर शिक्षा नहीं मिलती, तो वे या तो पढ़ाई छोड़ने को मजबूर होकर घरेलू जिम्मेदारियों में उलझ जा रही हैं या उन्हें बाहर जाना पड़ रहा है.

डीएम से टाइप थ्री भवन निर्माण की मांग कर चुकी हैं बच्चियां

अगस्त 2024 में चोरमारा गांव स्थित सीआरपीएफ कैंप परिसर में आयोजित ग्राम विकास शिविर के दौरान छात्राओं ने तत्कालीन जिलाधिकारी राकेश कुमार के समक्ष अपनी व्यथा रखी थी. उनसे टाइप थ्री भवन के निर्माण और कक्षा 9 से ऊपर की पढ़ाई की व्यवस्था कराने की मांग की थी. लेकिन इतने समय बाद भी मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

कहती हैं स्कूल की वार्डन

इस संबंध में स्कूल की वार्डन दीप प्रभा ने बताया कक्षा 8 के बाद स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है. जिला प्रशासन इस मुद्दे को प्राथमिकता दे. यहां टाइप-थ्री भवन का शीघ्र निर्माण कराया जाये और विद्यालय को उच्चतर कक्षाओं तक विस्तारित किया जाये, ताकि यहां की बेटियां बिना किसी रुकावट के अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकें.

जमीन की अनुपलब्धता बनी भवन निर्माण में बाधा

प्रखंड विकास पदाधिकारी एसके पांडेय ने बताया कि टाइप थ्री भवन का निर्माण कार्य जमीन की अनुपलब्धता के कारण फिलहाल संभव नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि उपयुक्त भूमि की पहचान के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है. जैसे ही उपयुक्त जमीन उपलब्ध होगी. भवन निर्माण कार्य के लिए विभाग को कलमबद्ध रिपोर्ट भेज दी जाएगी, ताकि आवश्यक प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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