हाजीपुर. भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने रविवार को यहां कहा कि हम एक खतरनाक दौर में प्रवेश कर रहे हैं. एक झटके में 70 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से काट दिये गये. जिनमें 40 लाख नाम बिल्कुल गलत तरीके से हटाये गये. साथ ही 20-25 लाख नये नाम जोड़े गये. इससे हर बूथ का संतुलन बदल गया है और यह सब चुनाव के ठीक पहले हुआ है. शहर के पासवान चौक स्थित एक होटल के सभागार में भाकपा माले एवं किसान आंदोलन के प्रमुख नेता दिवंगत विशेश्वर प्रसाद यादव की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि चुनाव से पहले 30 हजार करोड़ रुपये किसी भी सरकार द्वारा अलग-अलग नाम पर लोगों के बीच बांट दिये जायें, तो इसका क्या परिणाम होगा, यह सबके सामने है. बिहार चुनाव में खुलेआम नियम-कानून की धज्जियां उड़ायी गयीं. इस बार की सरकार पिछली सरकार नहीं है. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं, लेकिन गृह मंत्रालय सम्राट चैधरी को दिया गया है. उनके सामने उत्तरप्रदेश का मॉडल है बुलडोजर राज. बिहार में अब कानून नहीं, बुलडोजर का राज दिखेगा. माले महासचिव ने कहा कि बिहार चुनाव के नतीजे आते ही चारों श्रम कोड लागू कर दिये गये, जिसमें आठ घंटे का काम 12 घंटे का कर दिया गया. हड़ताल करना लगभग असंभव बना दिया गया. काम की कोई सुरक्षा नहीं है, लेकिन कहा जा रहा है कि ये श्रम कोड काम की सुरक्षा के लिए हैं. बेसिक पे 50 प्रतिशत कर दिया गया. 26 नवंबर को इसके खिलाफ व्यापक आंदोलन का आह्वान किया गया है. देश का संघीय ढांचा और लोकतंत्र खतरे में है. मजदूरों-किसानों के अधिकार, महिलाओं की आजादी खतरे में है. हम लोग लड़ते हुए इसका मुकाबला कर रहे हैं. यदि अंग्रेजों को भगाना संभव था, जब दुनिया भर में उनकी तूती बोलती थी, तो आज की तानाशाही को रोकना भी संभव है. हमारे हर कदम में विशेश्वर प्रसाद यादव जिंदा रहेंगे. श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ नेता केडी यादव, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, किसान महासभा के राज्य सचिव उमेश सिंह, पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम, पूर्व विधायक प्रतिमा कुमारी, राजद जिलाध्यक्ष वैद्यनाथ चंद्रवंशी, माले जिला सचिव योगेंद्र राय, डॉ ज्वाला कुमार, सुरेंद्र प्रसाद सिंह, रामनिवास प्रसाद यादव, गोपाल पासवान, प्रेमा देवी, सुमन कुमार, मो खलील, भाकपा जिला सचिव अशोक ठाकुर, माकपा जिला सचिव रामशंकर भारती, वीआइपी जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश सहनी, सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश प्रसाद सिंह, महेंद्र सिंह, सरोज कुमार आदि ने विचार रखे.
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