गोपालगंज. विधानसभा चुनाव का मतदान समाप्त होने के बाद शुक्रवार को जिले में वोटरों के मन में सवालों और अंदेशों का दौर जारी रहा. मतदान के अगले दिन गांव-कस्बों से लेकर शहर के चौक-चौराहों तक लोग आपस में मिलते ही चुनाव की चर्चा में डूब जाते हैं. कुचायकोट बाजार हो या बरौली बाजार. भोरे का चौराहा हो या दिघवा दुबौली का बाजार. लोगों के मन में यही सवाल तैरता रहा कि उनका दिया गया वोट क्या उनकी पसंद के प्रत्याशी को जीत तक ले जायेगा. वोटरों को अपने मन की यह बात भले ही खुलकर कहने में झिझक रही थी, पर बातचीत में यह भाव साफ झलक रहा था. गांव के मतदाता अपने दोस्तों या परिचितों से मिलते ही मुस्कराते हुए पूछते कि “हम जेकरा के वोटवा देनी, ऊ जीत जइहन नू कि हमार वोटवा जीआन हो जायी भाई ?” दूसरी तरफ साथी ठहाका लगाते हुए जवाब देते -“आरे जेकर के तू वोट देले बाड़, ऊहे जीतीहें.” मतदाता यह तो नहीं बताते कि उन्होंने किसे वोट दिया है, लेकिन उनका स्वर, उनका अंदाज और उनकी जिज्ञासा यह जरूर बता रहा है कि नतीजे आने तक उनके मन की बेताबी शांत होने वाली नहीं है. गांव में खेत-खलिहान के पास की चौपाल हो, चाय दुकान हो, या बाजार का मोड़. हर जगह एक ही चर्चा, एक ही सवाल. कई लोग अपने मोबाइल पर लगातार अपने-अपने राजनीतिक समूहों में आने वाली जानकारी को खंगालते रहे. बुजुर्ग मतदाता भी दिन भर पड़ोसियों से चर्चा करते रहे कि फलां बूथ पर किसका पलड़ा भारी रहा. अब सभी निगाहें मतगणना तिथि पर टिक गयी हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

