उचकागांव. मीरगंज नगर परिषद क्षेत्र में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. सफाईकर्मियों की हड़ताल पांचवें दिन सोमवार को भी जारी रही, जिससे शहर की सड़कों पर कचरे का ढेर लग गया है.
स्थिति इतनी खराब हो गयी है कि दुर्गंध और गंदगी से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है. शहरवासियों को न तो नियमित सफाई मिल रही है और न ही कोई अन्य नगरीय सुविधा. लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है. सफाईकर्मियों का आरोप है कि पहले नगर परिषद का मासिक बजट 18 लाख रुपये था, जिसमें भी उनका वेतन बेहद कम था. अब बजट बढ़कर 29 लाख रुपये हो गया है, इसके बावजूद वेतन में कोई वृद्धि नहीं की गयी है. उनका कहना है कि जब वाजिब मांगों के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई, तो मजबूरी में उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा.रिहायशी इलाके में लगा कचरे का अंबार, दुर्गंध से परेशानी
हड़ताल की वजह से शहर के मुख्य बाजार, मिल रोड, मेन रोड, चौक-चौराहे और रिहायशी इलाकों में कचरे का अंबार लग गया है. जगह-जगह से दुर्गंध उठ रही है, जिससे बीमारियों का खतरा मंडराने लगा है. सड़क किनारे बहते नालों और टूटे ढक्कनों के कारण दुर्घटना की आशंका बनी हुई है.सफाई को लेकर उतरे प्रतिनिधि, पर नहीं मिली राहत
सोमवार को जब सफाईकर्मी काम पर नहीं लौटे, तो नगर परिषद की सभापति अनिता देवी के प्रतिनिधि अरुण केसरी और उपसभापति धनंजय यादव ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत जेसीबी और ट्रैक्टर की मदद से कचरा उठवाना शुरू किया. मुख्य चौराहों पर स्थायी सफाईकर्मियों की मदद से सफाई करायी गयी, लेकिन यह उपाय अस्थायी राहत ही दे सका. शहरवासी इसे नगर परिषद की प्रशासनिक विफलता मान रहे हैं. वहीं, हड़ताल अब राजनीतिक रंग लेने लगी है. पूर्व मुख्य पार्षद सहित कई लोगों ने इसे नगर परिषद की नाकामी बताया और सफाई कर्मियों की मांगों को जायज ठहराते हुए त्वरित समाधान की मांग की है. स्थिति गंभीर होती जा रही है और यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो स्वास्थ्य संकट खड़ा हो सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है