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gopalganj news : चुनाव हारने के बाद आशीर्वाद देने पहुंच गये थे राजमंगल मिश्र

gopalganj news : फ्लैश बैक : रात के एक बजे आया था चुनाव परिणाम, हारने के बाद नगीना राय के घर पहुंचेचुनाव में थी कड़ी प्रतिद्वंद्विता, लेकिन साथ होता था दोनों नेताओं का खाना

गोपालगंज. बहुत खटकती है, अब की राजनीति कहां पहुंच गयी. साधारण जीवन, सामाजिक समरसता ही खत्म सी हो गयी. चुनाव के मायने बदल गये. आज चुनाव बड़े व करोड़पतियों का हो गया है.

यह कहते हुए पूर्व मंत्री, सांसद रहे नगीना राय की पत्नी इंदू देवी की आंखें भर जाती हैं. थोड़ी देर बाद संभल कर बताती हैं कि 1967 में नगीना राय और राजमंगल मिश्र आमने-सामने थे. नगीना बाबू चुनाव जीते. रात के एक बजे चुनाव परिणाम आया. सुबह आठ बजे एक एचडी नामक बाइक पर सवार होकर स्व राजमंगल मिश्र नगीना बाबू के घर गोपालपुर पहुंच गये. दरवाजे पर खड़ा होकर राजमंगल मिश्र नगीना बाबू को गाली देकर बुलाये. यह नजारा देख कर सभी लोग हैरत भरे नजरों से देखने लगे. नगीना बाबू भी उनकी खिदमत करने में जुट गये. राजमंगल मिश्र ने कहा कि हम अइनी ह तोहरा के आशीर्वाद देवे. एहिजा के विकास बड़ा मायने राखता. तू इमानदारी से काम करीह. जरूरत पड़ी त हम तहरा साथे मिलेब. उसके बाद नेताजी ने राजमंगल बाबा को अपने हाथ से चापाकल चलाकर स्नान कराये, भोजन कराये और फिर उनको पूरे आदर के साथ विदा किये.

दरअसल नगीना राय का ससुराल मीरगंज के पास मटिहानी में है. उस नाते मीरगंज में रहने के कारण राजमंगल मिश्र से हंसी-मजाक भी होते थे. 1967 से चुनाव को करीब से देखते आ रही कुचायकोट थाना क्षेत्र के गोपालपुर की रहनेवाले पूर्व मंत्री व सांसद स्व नगीना राय की पत्नी इंदू देवी की बातचीत में पीड़ा झलकती है. कहती हैं, पहले प्रत्याशियों में प्रतिद्वंद्विता थी, लेकिन माहौल इतना कुत्सित नहीं था. आपको यकीन नहीं होगा… प्रचार के दौरान कभी प्रत्याशियों की मुलाकात हो जाती, तो एक साथ बैठकर खाना खाते थे. कार्यकर्ता और समर्थक साथ-साथ बैठते और हंसी-मजाक का दौर चलता. जीतने वाले प्रत्याशी को सबसे पहले बधाई हारने वाला ही देता. चुनाव हारने के बाद कई बार नेताजी से मिलने उनके प्रबल प्रतिद्वंद्वी रहे राजमंगल मिश्र जी आते थे. उनके प्रति नेताजी में उतना ही सम्मान था. आज स्थिति बिलकुल उल्टा है. कब कहां किसके बीच तलवार खिंच जाये कहना मुश्किल है.

नेताजी साइकिल से निकलते थे चुनाव प्रचार के लिए

तब सुबह सूर्योदय के पहले नाश्ता कर साइकिल से कार्यकर्ताओं के साथ गांवों में लोगों से मिलने निकल जाते थे. जिले का कोई ऐसा गांव नहीं, जहां के युवाओं से नगीना बाबू का व्यक्तिगत संबंध नहीं रहा. जब उनको कांग्रेस ने 1980 में लोकसभा के लिए उम्मीदवार बनाया, तो प्रचार के लिए एक जीप पार्टी की तरफ से उपलब्ध करायी गयी. वे जीप पर नहीं साइकिल पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ जाना पसंद करते थे. चुनाव की हिस्सेदार बनी हैं. वे याद कर बताती हैं कि द्वारिकानाथ तिवारी जैसे दिग्गज को उन्होंने अपनी सादगी और प्रेम की बदौलत हरा दिये.

को-ऑपरेटिव के पुरोधा की मिली थी उपाधि

चुनाव हो या नहीं. नेताजी जब गांव में रहते थे तो जिले के अलग-अलग गांवों में जाकर अपने कार्यकर्ताओं के यहां भोजन करते थे. उनको कभी भय नहीं था. रात में भी बगैर सुरक्षा के निकल जाते थे. तब सांसद, विधायक तथा राज्य के ऊर्जा मंत्री, दी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष आदि पदों पर रहे. उनको बिहार में सहकारिता के पुरोधा का ख्याति मिला था. बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव के अध्यक्ष भी रह चुके थे. आज बिस्कोमान के उपाध्यक्ष उनके पुत्र महेश राय उनके सपनों को सकार कर रहे.

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