पंचदेवरी. विधानसभा का चुनाव सामने है. चुनावी सरगर्मी भी अपने शबाब पर है. इसके साथ कई समस्याएं भी मुद्दा बनकर उभर रही हैं.
पिछले कई चुनावों में इन समस्याओं को दूर करने का वादा तो हुआ, लेकिन आज तक इससे निजात नहीं मिल सकी. एक जनवरी 1997 को कटेया से अलग होकर पंचदेवरी एक अलग प्रखंड के रूप में उभर कर आया. लेकिन, आज तक इसे अलग थाने का दर्जा नहीं मिला. आज भी थाना कटेया ही है. इसका मलाल पंचदेवरी के लोगों को है. थाना क्षेत्र में विधि व्यवस्था को दुरुस्त रखने का दावा भले ही पुलिस व स्थानीय प्रशासन द्वारा किया जाता है, लेकिन पंचदेवरी क्षेत्र के लोग इस मामले में खुद को असुरक्षित समझते हैं. कारण यह है कि पश्चिम में यूपी सीमा से लेकर पूरब में झरही नदी तक कटेया थाने का क्षेत्र है. इसमें कटेया और पंचदेवरी दो प्रखंड शामिल हैं.इतने बड़े क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था का केंद्र कटेया थाना ही है. कोई घटना जब झरही के इलाके में होती है और पुलिस पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र में गश्ती कर रही होती है, तो सूचना के बाद पुलिस को घटना स्थल पर पहुंचने में घंटों लग जाते हैं. तब तक मामला बिगड़ गया रहता है. इस तरह की स्थितियों में कई बार पुलिस को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना भी करना पड़ता है. इस बार विधानसभा चुनाव में यह समस्या फिर मुद्दा बनकर तैयार है. पंचदेवरी को कटेया से अलग हुए 28 वर्ष बीत गये, लेकिन आज तक यहां के लोगों की सुरक्षा के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गयी. लोगों की मांग है कि पंचदेवरी को अलग थाने का दर्जा दिया जाये. हमारे विधायक ऐसी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाएं.
सन 2000 के बाद पंचदेवरी में तेजी से बढ़ा क्राइम का ग्राफ
सन 2000 के बाद पंचदेवरी में क्राइम का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा. 2007 में बसपा नेता व्यास राम व बगही के ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक की दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी थी. छह अप्रैल 2017 को पंचदेवरी के फर्नीचर व्यवसायी मुमताज अंसारी की हत्या हुई. इस बीच और कई बड़ी घटनाएं भी हुईं. इसके बाद ग्रामीणों ने थाने को लेकर आवाज उठानी शुरू कर दी. इस समस्या को कई बार चुनावी मुद्दा भी बनाया गया है. चुनाव के समय आश्वासन तो मिले, लेकिन जनता की इस मांग पर आज तक राजनीतिक स्तर से कोई पहल नहीं हुई.
बदहाल पिकेट के भरोसे है पंचदेवरी की सुरक्षा
पंचदेवरी में क्राइम के बढ़ते ग्राफ व ग्रामीणों की उठती आवाज को देख प्रशासन के अधिकारियों ने थोड़ी सक्रियता जरूर दिखायी. 2018 में प्रखंड मुख्यालय में पिकेट खोला गया, लेकिन यह समस्या का हल नहीं बन सका. पिकेट पर आवश्यक संसाधनों का अभाव है. पिकेट खुद ही बदहाल स्थिति में है. ग्रामीणों का कहना है कि पिकेट पर कोई सुनवाई नहीं होती. हर काम के लिए यहां से थाने पर भेजा जाता है. क्षेत्र के लोग इस समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं. 24 मई 2021 को जमुनहा बाजार में बिल्डिंग मेटेरियल के बड़े व्यवसायी राजेंद्र सिंह के भाई शिक्षक दिलीप सिंह उर्फ पंडित की गोली मारकर हत्या कर दिये जाने के बाद भी थाने की मांग को लेकर आवाज उठी थी. पंचदेवरी क्षेत्र में जब-जब कोई बड़ी घटना होती है, तब-तब इस मांग को लेकर क्षेत्र के लोग आवाज उठाते हैं. विभिन्न चुनावों में भी मुद्दा बनाया जाता है. क्षेत्र के लोग इस समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं.
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