गोपालगंज. श्रीमद्भगवत गीता एवं भरत मुनि के नाट्य शास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किये जाने का स्वागत किया है. गीता मानस मंदिर के सचिव उपेंद्रनाथ उपाध्याय, अधिवक्ता ने कहा कि विश्व का एकमात्र ग्रंथ भारत का श्रीमद्भगवत गीता है, जिसकी जयंती प्रतिवर्ष मनायी जाती है. इसी से इसके महत्व को आंका जा सकता है. यूनेस्को की दृष्टि इस ग्रंथ पर बहुत विलंब से गयी है. फिर भी यह एक स्वागत योग्य कदम है. पांच हजार वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध के मैदान में मोहग्रस्त अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने उपदेश देकर पुनः कर्तव्य पथ पर लगाया, उसी का वर्णन श्रीमद्भगवत गीता में है, जो एक जीवन-दर्शन ग्रंथ है. श्री उपाध्याय ने कहा कि नाटकों के संबंध में शास्त्रीय जानकारी देने वाले ग्रंथ को नाट्यशास्त्र कहते हैं. इस पर सर्वप्रथम भारत के भरत मुनि ने अपने ग्रंथ नाट्यशास्त्र के माध्यम से प्रकाश डाला है, जिसे भारत में पांचवें वेद की मान्यता प्राप्त है. इन दोनों ग्रंथों को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया जाना प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है. इस अवसर पर गीता मानस मंदिर के अध्यक्ष साधु शरण पांडेय ने कहा कि गीता, स्वतंत्रता संग्राम में लगे सेनानियों के अतिरिक्त अंग्रेजों को भी प्रभावित किया, जिन्होंने संस्कृत पढ़कर गीता का अंग्रेजी अनुवाद किया. इस्कॉन जैसी संस्था आज पूरे विश्व में गीता के प्रचार-प्रसार में लगी हुई है. फिल्मी दुनिया या 24 घंटे के समाचार चैनल इसी नाट्यशास्त्र की विद्या के माध्यम से लोगों के सामने लाये जा रहे हैं. इन दोनों भारतीय शास्त्रों को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल होना हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है.
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