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gopalganj news : आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही बुद्ध की धरा ””हस्तीग्राम””

gopalganj news : 78 साल बाद भी नहीं बनी सड़क, विदेशी पर्यटकों के सामने शर्मिंदा होते हैं ग्रामीणपूर्व मुखिया ने एसीएम को पत्र लिख की पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग

फुलवरिया. एक तरफ सरकार विकास की उपलब्धियों की लंबी सूची गिनाती है, वहीं दूसरी ओर भगवान बुद्ध की पवित्र स्मृतियों से जुड़े फुलवरिया प्रखंड की बैरागी टोला पंचायत के हस्तीग्राम हाथीखाल की तस्वीर आज भी बदहाली की गवाही देती है. यही वह स्थान है, जहां कुशीनगर प्रस्थान के पूर्व भगवान बुद्ध ने अंतिम रात्रि विश्राम किया था और शांति का संदेश दिया था.

इसी कारण यह गांव बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है. इंग्लैंड, जापान, थाईलैंड, श्रीलंका, बोधगया और कुशीनगर से हर वर्ष सैकड़ों विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं, पर हैरत की बात यह है कि इतनी पहचान और धार्मिक महत्व के बावजूद यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है.

मरीजों को खाट पर पांच मीटर ले जाने पर मिलती है सड़क

गांव की अंदरूनी सड़कें जर्जर हैं. दलित टोला की स्थिति तो और खराब है. ग्रामीण बताते हैं कि आजादी के सात दशक बाद भी यहां पक्की सड़क नहीं बन सकी. यह विडंबना इसलिए ज्यादा बड़ी हो जाती है कि जिस स्थान पर विदेशी पर्यटक आते हैं, वहीं स्थानीय लोग बारिश में घुटनों तक कीचड़ में धंसकर गुजरने को मजबूर हैं. बरसाती दिनों में हालात इतने बदतर हो जाते हैं कि गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा की स्थिति में खाट या डोली पर उठाकर करीब 500 मीटर दूर सड़क तक ले जाना पड़ता है, तब कहीं एंबुलेंस या निजी वाहन तक पहुंचा जा सकता है. ग्रामीणों का कहना है कि कभी–कभी उसी देरी में जान पर खतरा बन जाता है.

गांव में आने वाले श्रद्धालु उपेक्षा देख हो जाते हैं निराश

पूर्व वार्ड सदस्य प्रभुदयाल पंडित बताते हैं कि इसी स्थान पर बुद्ध ने ग्रामीणों के साथ चौपाल लगाया था. बाद में यहां ग्रामीणों ने बुद्ध प्रतिमा स्थापित की, जो आज भी गांव की पहचान है. श्रद्धालु यहां आकर ध्यान और वंदना करते हैं, पर लौटते समय इस उपेक्षा को देखकर निराश हो जाते हैं. वहीं, पंचायत की पूर्व मुखिया मंजू देवी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर मांग की है कि हस्तीग्राम को ऐतिहासिक-धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाये. उन्होंने कहा कि यह बिहार की सांस्कृतिक धरोहर है, इसे संवारना सरकार की जिम्मेदारी है. पत्र सामने आने के बाद ग्रामीणों में एक बार फिर उम्मीद जगी है कि शायद अब मुख्यमंत्री स्तर पर पहल हो और सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सहित बुनियादी सुविधाओं की रोशनी इस ऐतिहासिक धरा तक पहुंचे. ग्रामीणों की पीड़ा भरा सवाल यह है कि बुद्ध की धरती होने के बावजूद विकास का लाभ यहां कब पहुंचेगा?

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