गोपालगंज. गंडक नहर की जमीन की फर्जी जमाबंदी मामले को डीएम प्रशांत कुमार सीएच ने गंभीरता से लिया है. डीएम ने इस मामले की हाइ लेवल जांच के लिए एडीएम आशीष कुमार सिन्हा के नेतृत्व में जांच टीम का गठन किया है. जांच टीम के अधिकारियों ने नहर के जमीन की गहनता से जांच शुरू कर दी है. शुक्रवार को गंडक नहर को अधिगृहीत जमीन की पूरी जानकारी लेने के साथ ही कुचायकोट के सीओ मणि भूषण से भी रेकॉर्ड तलब कर उसकी जांच की.
सीओ से उनके पक्ष को सुना गया
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश वाले रेकॉर्ड को भी मंगा कर अवलोकन किया गया. सीओ से भी उनके पक्ष को सुना गया है. सीओ की ओर से राजस्व कर्मचारी व सीआइ के स्पष्टीकरण को भी उपलब्ध कराने को कहा गया है. अब तक के रेकॉर्ड की जांच में प्रभात खबर के न्यूज पर मुहर लगी है. हाइ लेवल जांच के शुरू होने के बाद इस कांड में लिप्त सरकारी जमीन बेचने वाले, लिखवाने वाले, जमाबंदी करने-कराने में लिप्त कर्मी से लेकर अफसर तक जांच के दायरे में आ गये हैं. जांच की खबर से कुचायकोट में भी हड़कंप मचा रहा.
गंडक की अधिगृहीत जमीन को 16 जून 2014 को बेचा गया
मालूम हो कि इस जमीन को गंडक परियोजना के तहत सन् 1968-69 में 11 डिसमिल जमीन खेसरा 730 से अर्जित कर लिया गया. पुनः गंडक परियोजना द्वारा सन् 1974 में चार डिसमिल खेसरा 730 से अर्जित की गयी. जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के पीठ के समक्ष 20 फरवरी 2023 को लोक प्राधिकार सह कार्यपालक अभियंता, सारण नहर प्रमंडल, गोपालगंज की ओर से पत्रांक 134 दिनांक 17 फरवरी 2023 के माध्यम से प्रतिवेदित किया गया कि “केश्वरलाल वगैरह के नाम से थाना नंबर-741. तौजी नंबर 3296, खाता नंबर 29, खेसरा 730, कुल रकबा 15 डिसमिल है, जो हाल सर्वे खतियान में केश्वरलाल वगैरह के नाम से दर्ज है, को गंडक ने अधिगृहीत कर लिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है