गोपालगंज जवानी भर हत्या का कलंक झेला. छह माह तक जेल में रहा. 27 वर्षों तक कोर्ट की चौखट पर माथा टेकता रहा. अब उम्र के अंतिम पड़ाव में एडीजे-10 मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने उसे निर्दोष पाते हुए बाइज्जत बरी कर दिया. कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष हत्या जैसे जघन्य अपराध को साबित नहीं कर पाया. हत्या के प्रतिशोध में दो-तीन सौ लोगों की भीड़ ने दौड़ाकर दो लोगों को मार डाला था. इस कांड में अभियोजन को पर्याप्त अवसर मिलने के बावजूद, अनुसंधान करने वाले अधिकारी का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया.
केस के ट्रायल के दौरान कांड के एक आरोपित रामजीत राय की मौत हो चुकी है. दूसरे आरोपित नागेंद्र तिवारी पर हत्या का दोष सिद्ध नहीं हो पाया. इसलिए उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया गया. अभियोजन पक्ष के अपर लोक अभियोजक जयराम साह और बचाव पक्ष के अधिवक्ता देवेंद्र मणि त्रिपाठी की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया.
ऐसे मुकरते गए गवाह
स्वयं मृतक के पुत्र जितेंद्र राय ने कहा कि उनके पिता का सिर और गर्दन काट दिया गया था, जिससे वे गिर गए. जबकि इस बिंदु पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसा कोई जख्म नहीं पाया गया. उन्होंने प्रत्यक्षदर्शी साक्षी होने का दावा किया, लेकिन अपने पिता की हत्या के मामले में न तो स्वयं प्राथमिकी दर्ज कराई और न ही किसी अभियुक्त का नाम तत्काल पुलिस को बताया. प्राथमिकी स्थानीय चौकीदार के बयान पर अज्ञात अभियुक्तों के विरुद्ध दर्ज कराई गई थी. जब मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया, तब भी डॉक्टर ने मृतक के नाम वाले कॉलम में “अज्ञात शव” का उल्लेख किया था. इससे स्पष्ट होता है कि मृतक का पुत्र घटनास्थल पर मौजूद नहीं था. इस मुकदमे में अभियोजन अपने मामले को साबित करने में असफल रहा.
कोर्ट ने इन गवाहों के साक्ष्य को बनाया आधार
हरदेव राय, जंगी राय, मदन राय, जितेंद्र राय, रजावल राय, किशोर राय, डॉ. आलोक कुमार सुमन, डॉ. टी.एन. सिंह ने कोर्ट में साक्ष्य के रूप में गवाही दी थी.
चौकीदार के तहरीर पर दर्ज हुआ था कांड
महम्मदपुर थाना के बांसघाट मसूरिया गांव के चौकीदार मदन राय ने 12 नवंबर 1998 को शाम 4 बजे थाना में कांड दर्ज कराया था. उन्होंने बताया कि अपराधियों ने पुनदेव राय के पुत्र नाकछेद राय को गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिससे ग्रामीण उत्तेजित हो गए. करीब तीन-चार सौ अज्ञात व्यक्तियों की भीड़ दिन में डेढ़ बजे बदमाशों को खदेड़ रही थी. जब वे हल्ला सुनकर बांध के पूर्वी तरफ पहुंचे तो देखा कि दो अपराधकर्मी बांसघाट मसूरिया चौर में मृत पड़े थे. इनमें एक तपेश्वर राय का पुत्र जगलाल राय था, जबकि दूसरे मृत अपराधकर्मी की पहचान नहीं हो पाई. कांड में दावा किया गया कि भीड़ ने उत्तेजित होकर तीन-चार सौ अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर दोनों अपराधियों को मार डाला था.
एक नजर में कांड का फैक्ट
- महम्मदपुर थाना कांड संख्या: 96/98
- धारा: 304 भादवि
- अपराध की तिथि: 12 नवंबर 1998
- एफआईआर की तिथि: 12 नवंबर 1998
- आरोप पत्र की तिथि: 23 मई 2004
- फ्रेमिंग शुल्क की तिथि: 30 नवंबर 2005
- साक्ष्य प्रारंभ होने की तिथि: 27 मार्च 2006
- फैसले की तारीख: 12 मार्च 202
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