थावे. विधानसभा चुनाव का मतदान शांतिपूर्ण माहौल में होने के बाद अब राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और समर्थक अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत-हार के जोड़ घटाव में जुटे हैं. हर बूथ से मिले फीडबैक और मतदान प्रतिशत के आधार पर समर्थक अपने हिसाब से परिणाम का आकलन कर रहे हैं. गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र में अब चुनावी चर्चा अपने चरम पर है. कहीं प्रत्याशी बढ़त का दावा कर रहे हैं, तो कहीं विपक्षी खेमे में पलटवार का दौर जारी है. चाय की दुकानों, चौक-चौराहों और सामाजिक जमावड़ों में बस एक ही सवाल गूंज रहा है. इस बार जनता का फैसला किसके पक्ष में जायेगा? मतदान के बाद दलों के समर्थकों में भी हलचल बढ़ गयी है. देर रात तक कार्यकर्ता बैठकें कर रहे हैं और अपने-अपने बूथ एजेंटों से रिपोर्ट ले रहे हैं. कई जगहों पर मतदाताओं के रुझान को लेकर चर्चा का दौर जारी है. समर्थक वोटों की संभावित गणना कर अनुमान लगा रहे हैं कि किसे कितनी बढ़त मिल सकती है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार मुकाबला कांटे का रहने वाला है. जातीय समीकरण, प्रत्याशियों की छवि और स्थानीय मुद्दों ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. नये चेहरों ने भी कई जगहों पर पुराने नेताओं को कड़ी चुनौती दी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जनता ने इस बार चुपचाप मतदान किया है. इसलिए नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं. अब सभी की निगाहें मतगणना की तारीख 14 नवंबर पर टिकी हैं. इवीएम में बंद जनता का फैसला किसके पक्ष में जायेगा, यह जानने की उत्सुकता हर राजनीतिक दल में दिख रही है. कार्यकर्ता लगातार यह दावा कर रहे हैं कि इस बार उनकी पार्टी को बहुमत मिलेगा, जबकि विरोधी दल इसे सिर्फ आशा करार दे रहे हैं. वहीं जैसे-जैसे मतगणना का दिन नजदीक आ रहा है. सियासी तापमान भी तेजी से बढ़ता जा रहा है. हर दल का नेता अपने समर्थकों को आश्वस्त कर रहा है कि जीत उसकी ही होगी, लेकिन असली फैसला अब इवीएम के बटन में बंद है, जो मतगणना के दिन ही खुलेगी.
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