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फतहा के फार्म मैनेजर की गोंडा में हत्या

वारदात. मामूली विवाद में फार्म में घुस कर किया गया था हमला, परिजनों में मचा कोहराम यूपी के गोंडा में कृषि फार्म के मैनेजर के रूप में काम कर रहे युवक की हत्या से गांव में चीत्कार का माहौल है. गोपालगंज : यूपी के गोंडा में कृषि फार्म पर हमला कर उसके मैनेजर समेत चार […]

वारदात. मामूली विवाद में फार्म में घुस कर किया गया था हमला, परिजनों में मचा कोहराम

यूपी के गोंडा में कृषि फार्म के मैनेजर के रूप में काम कर रहे युवक की हत्या से गांव में चीत्कार का माहौल है.
गोपालगंज : यूपी के गोंडा में कृषि फार्म पर हमला कर उसके मैनेजर समेत चार कर्मियों को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया. इस हमले में नगर थाने के फतहा के रहनेवाले मैनेजर रमेश कुमार महतो (38 वर्ष) की मौत हो गयी. बुधवार को शव फतहा पहुंचा. शव पहुंचते ही परिजनों में जहां कोहराम मच गया, वहीं गांव के लोगों में मायूसी छा गयी. मौत के बाद जहां परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, वहीं गांव के लोगों की आंखों से भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था. परिजनों ने बताया कि पिछले 12 वर्षों से रमेश कुमार महतो गोंडा के बाबा मठिया गांव के समीप अली राजा फार्म में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे.
फार्म में मछली पालन, डेयरी, फल, फूल, पौधा संरक्षण का काम होता था. मामूली विवाद को लेकर फार्म के कर्मियों पर जानलेवा हमला हुआ. गत सोमवार को दिन के 11 बजे अली राजा फार्म में कुछ पशु घुस आये. मना करने पर दर्जन भर लोग हरवे-हथियार से लैस होकर पहुंचे और बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी. इसमें मैनेजर रमेश महतो, सुपरवाइजर शेर बहादुर, माली राम बाबू चौहान समेत आधा दर्जन लोग घायल हो गये. इलाज के क्रम में मैनेजर रमेश महतो की मंगलवार की रात पीजीआइ लखनऊ में हो गयी.
संडे को आने का दिया था भरोसा
रमेश महतो अपने घर का इकलौता कमाऊ सदस्य था. सोमवार की सुबह सात बजे उसने अपनी पत्नी शशि देवी से 12 मिनट बात की थी. उसने बच्चों की जिद को देखते हुए रविवार को घर आने का भरोसा दिलाया था. इस बीच बुधवार को जब उसका शव पहुंचा, तो पत्नी उसे देखते ही बेहोश हो गयी. बेहोश होने के कारण उसकी हालत बिगड़ गयी. बार-बार एक ही शब्द बोल रही थी कि क्यों धोखा दे दिया. अब बेटा अभिषेक कुमार, आयुष कुमार, बेटी अंजलि कुमारी को लेकर शशि पूरी तरह से टूट चुकी है.
पल भर में उजड़ गयी उगिया की गोद : फतहा गांव में शव पहुंचते ही उसकी मां उगिया दहाड़ मार कर रोने लगी. उसके सामने उसके कलेजे के टुकड़े का शव था. वह बार-बार अपने बेटे को उठाने का प्रयास कर रही थी. अब किसके सहारे जीयेंगे जैसे शब्द से पूरा माहौल गमगीन हो गया था. चार वर्षीय बेटा आयुष बार-बार अपने पिता को देख कर उठाने को कह रहा था. मासूम बच्चे को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था.

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