बाढ़ में उजड़ती हैं जिंदगियां
बेबसी . हर साल नये आशियाने तैयार कर बसते हैं लोग
अवधेश कुमार राजन4गोपालगंज
गंडक नदी की बाढ़ हर साल पांच प्रखंडों के 60 से अधिक गांवों में बरबादी का मंजर दिखाती है. विवशता के सिवा कुछ और नहीं देती. बाढ़पीड़ितों के खेत-खलिहान व फसल के साथ-साथ घर-संसार को पानी में डूबो देती है. नदी की धारा प्रति साल इस क्षेत्र में बसे 50 हजार परिवारों की किस्मत बहा ले जाती है. सालाना बाढ़ का दंश झेलते हुए लोगों की अपनी कमाई से स्थापित किये गये घर-संसार बाढ़ में समा जाते हैं. बाढ़पीड़ितों के सजे-संवरे घर बह जाते हैं और बचती हैं, तो सिर्फ सिसकियां. प्रशासनिक मदद मानों उस बरबादी पर मरहम लगाने का काम आ रही है. इस वर्ष 10 दिनों की बाढ़ ने लगभग 87 करोड़ की क्षति पहुंचायी है. इसमें घर में रखा अनाज, कपड़ा, बरतन, बिछावन सब कुछ पानी में बह गये. प्रशासन की तरफ से भी क्षति का आकलन करने का आदेश अंचल पदाधिकारियों को दिया गया है.
क्षति का आकलन कराने में जुटा प्रशासन
पानी घटने के बाद गांव में पहुंचे लोग
गोपालगंज : बाढ़पीड़ित परिवारों का सर्वे शुरू हो गया है. बाढ़पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहयोग दिये जाने को लेकर हर स्तर पर कार्रवाई की जा रही है. शनिवार को राजस्व कार्यों की समीक्षा अपर समाहर्ता जगदीश प्रसाद सिंह ने की. उन्होंने बाढ़ग्रस्त अंचलों के सीओ को सूची तैयार करने की मॉनीटरिंग किये जाने का भी निर्देश दिया है. उन्होंने राजस्व वसूली की बदतर स्थिति को देखते हुए वसूली कार्य में तेजी लाये जाने का निर्देश दिया. बैठक में अापदा प्रबंधन के प्रभारी पदाधिकारी परमानंद साह के साथ सभी अंचलों के सीओ मौजूद थे.