कुव्यवस्था. सदर अस्पताल में डॉक्टरों के लिए निकाली गयीं कई बार संविदाएं
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नहीं मिल रहे डॉक्टर, 22 पद खाली
कुव्यवस्था. सदर अस्पताल में डॉक्टरों के लिए निकाली गयीं कई बार संविदाएं सदर अस्पताल को डॉक्टर की जरूरत है. अस्पताल में 22 पद वर्षों से रिक्त हैं. निविदा निकाले जाने के बाद भी डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं. हमेशा मरीजों की जान पर खतरा बना रहता है. मजबूरन बड़े शहरों के लिए मरीजों को रेफर […]
सदर अस्पताल को डॉक्टर की जरूरत है. अस्पताल में 22 पद वर्षों से रिक्त हैं. निविदा निकाले जाने के बाद भी डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं. हमेशा मरीजों की जान पर खतरा बना रहता है. मजबूरन बड़े शहरों के लिए मरीजों को रेफर करना पड़ता है.
गोपालगंज : आप थोड़े देर के लिए चौक जायेंगे. बात सोलह आना सच है. सदर अस्पताल को ढ़ूंढ़ने पर भी डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं. सदर अस्पताल में डॉक्टराें के 22 पद रिक्त हैं. शिशु रोग, हृदय रोग, श्वांस रोग, गैस्ट्रो जैसे रोगों के विशेषज्ञ अस्पताल में नहीं हैं. इस अस्पताल में प्रतिदिन 40-45 बच्चों का जन्म होता है. शिशु रोग विशेषज्ञ के नहीं रहने से प्रतिमाह 20-25 शिशुओं की मौत हो जाती है. डॉक्टर के अभाव में इलाज नहीं हो पा रहा है.
फिलहाल डॉ इम्तेयाज शिशुओं का इलाज करते हैं. इसी तरह हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ कैप्टन एसके झा सर्जरी भी संभालते हैं. इनसे जब स्थिति नहीं संभलती, तो मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. सदर अस्पताल में डॉक्टरों के 30 पदों के बदले आठ डॉक्टर नियमित व छह संविदा पर कार्यरत हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
स्वास्थ्य विभाग से जल्द ही डॉक्टरों की नियमित बहाली होनी है. नियमित बहाली होने के बाद ही यहां डॉक्टरों की कमी दूर हो पायेगी. डॉक्टरों की कमी से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
डॉ अरविंद कुमार झा
डीपीएम, सदर अस्पताल गोपालगंज
शिशु रोग, हृदय रोग विशेषज्ञों की है तलाश
संविदा पर नहीं चाहते काम करना
स्वास्थ्य विभाग 57 डॉक्टरों के लिए कई बार संविदा निकाल चुका है. डॉक्टर संविदा पर काम नहीं करना चाहते हैं. स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न अस्पतालों में 90 डॉक्टरों की जगह 33 डॉक्टर कार्यरत हैं, जबकि 57 डॉक्टरों के पद रिक्त हैं. उसी तरह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 42 डॉक्टरों की जगह महज आठ तैनात हैं,
जो कभी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ड्यूटी करने नहीं जाते हैं. उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से ही फुरसत नहीं मिलती. हैरत इस बात की है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मांझा में डॉक्टरों के तीन पद सृजित हैं, जो रिक्त हैं. इसी तरह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भोरे, हथुआ में डॉक्टरों के दो-दो पदों के बदले एक भी डॉक्टर नहीं हैं.
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