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पर्वों का गुल्दस्ता लेकर आया कार्तिक मास

पर्वों का गुल्दस्ता लेकर आया कार्तिक मास नारायणी नदी में स्नान से पापों का शमनदेवताओं और पितरों को दे आकाश दीपसंवाददाता, गोपालगंजसनातन धर्म में कार्तिक मास उत्सवों का सबसे समृद्ध माह है. इसकी शुरुआत बुधवार को ही हो रही है. मंगलवार को आश्विन शुक्ल पूर्णिमा स्नान विधान के साथ कार्तिक पूर्णिमा यानी मासपर्यत नहान का […]

पर्वों का गुल्दस्ता लेकर आया कार्तिक मास नारायणी नदी में स्नान से पापों का शमनदेवताओं और पितरों को दे आकाश दीपसंवाददाता, गोपालगंजसनातन धर्म में कार्तिक मास उत्सवों का सबसे समृद्ध माह है. इसकी शुरुआत बुधवार को ही हो रही है. मंगलवार को आश्विन शुक्ल पूर्णिमा स्नान विधान के साथ कार्तिक पूर्णिमा यानी मासपर्यत नहान का सिलसिला शुरू हो जायेगा. इस दौरान गंगा, नारायणी समेत अन्य नदियों, सरोवरों में श्रद्धालुमन डुबकी लगायेगा ही पंचनदतीर्थ पर स्नान का विशेष मान भी याद आयेगा. डॉ पंकज शुक्ला बताते है कि मान्यता है कि यहां पांच नदियों (गंगा, यमुना, नारायणी, विशाखा, धूतपापा व किरण) ऐसे में यहंा स्नान से हर तरह के पापों का शमन होता हैै. हर दिन स्नान विधान, श्रीहरि के नाम अुनष्ठान और तुलसी को दीपदान किया जाता है. तो हर दिन कोई पर्व लेकर आता है. इस लिहाजा से दिव्य कार्तिक मास पर्वों की विशाल श्रृखंगा बन जाता है. देवताओं व पितरों की राह आलोकित करने को पंचगंगा समेत अन्य घाटों पर आकाशदीप जलाने की भी परंपरा है. जो लोग घाटों पर नहीं पहुंच पाते है वही अपनी छतों पर ही दीप जला कर पितरों का पथ प्रदर्शित करते हैं. कृष्ण पक्षचतुर्थी :- अमर सुहाग की कामना का त्योहार करवाचौथ. इसमें विवाहिताएं दिन भर निराजल व्रत रख शाम को चंद्रमा को साक्षी मान पति दर्शन करती है और उनके हाथों जल पीकर व्रत तोड़ती है. द्वाद्वशी :- गोवत्स द्वाद्वशशी. इसमें बछड़ों की पूजा का विधान है.त्रयोदशी :- शुभ समृद्धि कामना का पर्व धन तेरस. इसमें व्यापारिक प्रतिष्ठानों व घरों में मां लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा की जाती है. इस दिन आयुर्वेद के जनक धनवंतरी की जयंती भी मनायी जाती है.चतुर्दर्शी : हनुमान जयंती के साथ ही नरक चतुर्दर्शी भी मनायी जाती है.अमावस्या : अमावस की रात अंधेरे पर उजाले की विजय का पर्व दीपावली. शुक्ल पक्षप्रतिपदा : गोवर्धन पूजा में बहनें भाईयों की निष्कंटक लंबी उम्र कामना से गोवर्धन पूजा करती है.पष्ठी : मनोकामनापूर्ति का पर्व डाला छठ पर सरोवर व नदियों में कमर भर पानी में खड़ी महिलाएं पुरुष अस्त होते सूर्य को अर्ध देते है. पंचमी को शुरू हुए पर्व के विधि विधान सप्तमी को उगते सूर्य को भी अर्ध देने के साथ पर्व संपन्न होते है.अष्टमी : गोपाष्टमी में गाय पूजननवमी : अक्षय नवमी पर अंावले के वृक्ष का पूजन व उसकी छांव में भोजन विधानएकादशी : हरिप्रबोधिनी एकादशी, माना जाता है कि इस तिथि पर श्रीहरि जागते है. तुलसी विवाहोत्सव भी मनाया जाता है. चतुर्दशी : बैकुंठ चतुर्दशीपूर्णिमा : कार्तिक स्नान समापन. थावे मंदिर मंे दीप दीपावली शुरू उत्सव के सिलसिले को विराम.

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