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आवारा कुत्तों का आतंक, मुसीबत में राहगीर

शहर में कुत्तों के हमले में किशोर की मौत गोपालगंज : शहर में आवारा कुत्तों ने आतंक मचा रखा है. शहर की शायद ही कोई सड़क या गली हो जहां इनकी दहशत न हो. राहगीर परेशान हैं, पर करें भी तो क्या. राह चलते कब कुत्ते हमला कर रहे हैं. सदर अस्पताल में रोज करीब […]

शहर में कुत्तों के हमले में किशोर की मौत
गोपालगंज : शहर में आवारा कुत्तों ने आतंक मचा रखा है. शहर की शायद ही कोई सड़क या गली हो जहां इनकी दहशत न हो. राहगीर परेशान हैं, पर करें भी तो क्या. राह चलते कब कुत्ते हमला कर रहे हैं. सदर अस्पताल में रोज करीब 65-70 लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने पहुंच रहे हैं.
इसके अलावा अन्य सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में भी इस तरह के मरीजों की संख्या बढ़ी है. पुरानी चौक निवासी 13 वर्षीय संदीप को पिछले सप्ताह उस समय कुत्ते ने काटा, जब वह कोचिंग के बाद अपने कमरे पर लौट रहा था. सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. अकेले में देखते ही कुत्ते हमला कर दे रहे हैं. जानकारों का कहना है कि बरसात व इसके बाद के महीनों में कुत्ते आक्रामक हो जाते हैं. ऐसे मौसम में एहतियात बरतने की जरूरत है.
बाजार से मंगाया जा एंटी रैबीज : शहर में एंटी रैबीज सदर अस्पताल में ही मिलता है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के पीएचसी, रेफरल अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल में यह उपलब्ध है. बावजूद इसके मरीजों को यह आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता. शिकायत यहां तक है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर वैक्सीन उपलब्ध होने के बाद भी बाजार से मंगाया जाता है.
बताते हैं कि इसके पीछे फार्मासिस्टों का कमीशन बंधा होता है. एक वैक्सीन के पीछे इनको तकरीबन 50 रुपये मिल जाते हैं. सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध वैक्सीन की एक शीशी में पांच डोज दवा रहती है. यानी इसे पांच लोगों को लगाया जा सकता है. अगर अस्पताल में एक ही मरीज आया और उसके लिए शीशी खोल दी गयी, तो फिर एक डोज उस मरीज को लगाने के बाद शेष चार डोज बेकार हो जाता है.
सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन है फ्री
अस्पताल के फार्मासिस्ट की मानें तो जुलाई, अगस्त व सितंबर में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. इस समय रोज 65-70 मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं. अकेले अगस्त में 1.5 हजार मरीजों को इंजेक्शन लगाया जा चुका है. यह तो केवल सदर अस्पताल का हाल है.
अन्य प्राइवेट अस्पतालों में भी ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं. बाजार में वैक्सीन की कीमत 350 रुपये के लगभग है, जबकि सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन फ्री में उपलब्ध है. शहर में गिने-चुने दुकानदार ही एंटी रैबीज वैक्सीन रखते हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
अस्पतालों में एंटी रैबीज के इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में मौजूद है. मरीजों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं उठानी पड़ रही है. अगर किसी को कोई परेशानी होती है, तो वह शिकायत कर सकता है. शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की जायेगी.
मधेश्वर प्रसाद शर्मा, सिविल सर्जन

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