गोपालगंज: गंडक नदी की त्रसदी को साल- दर- साल ङोल रहे 2.65 लाख की आबादी की पीड़ा सियासत का शिकार हो गया है.गंडक नदी पर यूपी के एपी तटबंध से सदर प्रखंड के विशुनपुर छरकी तक नया तटबंध बनाने के लिए तथा नदी के कटाव से विस्थापित हुए पीड़ितों के पुनर्वास के लिए दियारे के युवाओं ने संघर्ष समिति का गठन किया. संघर्ष समिति ने अपनी मांगों को हुकूमत तक पहुंचाने के लिए आंदोलन का मार्ग चुना .
संघर्ष समिति को एक- एक पीड़ित परिवार का सहयोग मिला. लोगों को भी लगा कि यह आंदोलन मुकाम तक पहुंचेगा. यहां तक की जिला प्रशासन ने भी तटबंध बनाने की आवश्यकता को समझते हुए बजाप्ता जल संसाधन विभाग को रिपोर्ट किया. इसके लिए सबसे अधिक पहल डीएम कृष्ण मोहन ने की. उधर इस आंदोलन के संयोजक के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता शिवजी सिंह कुशवाहा तथा दलित सेना के जिलाध्यक्ष अनिल मांझी ,पूर्व जिला पार्षद सत्येंद्र बैठा ,बरइपटी के पैक्स अध्यक्ष मिथिलेश राय जैसे लोग शामिल होकर आंदोलन को मुखर बनाये . तटबंध के लिए बजाप्ता 26 से 31 जनवरी तक सिपाया ढाले पर अनशन किया गया .उसके बाद तटबंध के लिए डीपीआर तैयार कर भेजा गया . दिसंबर तक नया तटबंध बनाने का कार्य भी शुरू होने की संभावना है. ऐसे में संघर्ष समिति के कुछ लोगों ने मिल कर बैकुंठपुर के सतर घाट से 25 अगस्त को पदयात्र की शुरुआत की.
गंडक नदी पर तटबंध बनने से लगभग 150 गांव को बाढ़ से मुक्ति दिलाने का सपना है. इसके लिए दिन- रात एक कर हम लोगों ने आंदोलन को मुखर बनाया. अब कुछ लोग अनशन के दौरान मिले जनसमर्थन को देख उतावला हो गये. वे अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने लगे. मुङो प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने से रोक दिया गया . यह आंदोलन का मैं भी एक अहम हिस्सा हूं .संयोजक अपने आगे किसी दलित नेता को देखना नहीं चाहते .
सत्येंद्र बैठा, पूर्व जिला पार्षद ,संस्थापक सदस्य .