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शहर की आबोहवा में जहर, िबगड़ रही सेहत

गोपालगंज : दीपावली में हुई आतिशबाजी, जिले में छठपूजा के मौके पर बाहर से आये वाहनों ने शहर की आवोहवा को और खराब कर दिया है. प्रशासनिक स्तर पर प्रदूषण रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किये गये हैं. बीते एक पखवारे से अनवरत चल रही पूर्वी हवाओं के साथ आ रही नमी के […]

गोपालगंज : दीपावली में हुई आतिशबाजी, जिले में छठपूजा के मौके पर बाहर से आये वाहनों ने शहर की आवोहवा को और खराब कर दिया है. प्रशासनिक स्तर पर प्रदूषण रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किये गये हैं. बीते एक पखवारे से अनवरत चल रही पूर्वी हवाओं के साथ आ रही नमी के बीच उलझकर धूल और कार्बन के कण वायुमंडल में स्थिर हो गये हैं.

यही स्मॉग है, जो बादल की तरह दिख रहा है. मौसम विज्ञानी डॉ एसएन पांडेय मुताबिक आसमान में दिखने वाले बादल दरअसल स्मॉग हैं. स्मॉग की वजह से ही गोपालगंज का तापमान एक बार फिर से चढ़ गया है. 25 डिग्री सेल्सियस तक नीचे आ चुका अधिकतम तापमान एक बार फिर 30 तक पास गया है.
न्यूनतम तापमान भी 20 के पार है. वाहनों की संख्या के बढ़ने से पर्यावरण संतुलन पहले से ही बिगड़ रहा है, स्मॉग वायु प्रदूषण की एक अवस्था है. स्मॉग शब्द का इस्तेमाल 20वीं सदी की शुरुआत से हो रहा है. यह शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों स्मोक और फॉग से मिलकर बना है. गाड़ियों से उत्सर्जित धुएं में उपस्थित राख, गंधक व अन्य हानिकारक रसायन जब कोहरे के संपर्क में आते हैं तो स्मॉग का निर्माण होता है. यह स्मॉग इस रूप में वायु प्रदूषण जनित बीमारियों का कारण बन जाता है.
ऐसे खतरनाक बन रही आबोहवा
वातावरण में सल्फर डाइ आॅक्साइड और नाइट्रोजन आॅक्साइड के साथ धूल के कणों की आवश्यकता से अधिक मौजूदगी स्मॉग की वजह बनती है. धुआं इसमें सर्वाधिक जिम्मेदार होता है. धुएं से सल्फर डाइ आॅक्साइड और नाइट्रोजन आॅक्साइड तो निकलता ही है, धूल भी उड़ती है, नमी के साथ मिलकर वह वायुमंडल के निचले स्तर पर विलंबित हो जाती है. गोपालगंज इस समय इसी दौर से गुजर रहा है.
वाहनों की कुल संख्या
दोपहिया वाहन
पछुआ हवाओं से सुधर सकती है स्थिति
धूप की किरण स्मॉग को पार कर जमीन तक पहुंच तो जा रही है, लेकिन उसके बाद कमजोर हो जाने के कारण वापस वायुमंडल में लौट नहीं पा रही है. तापमान की बढ़ोतरी की वजह यही है. अब इंतजार है शुष्क पछुआ हवाओं का, जिसकी वजह से वातावरण की नमी कम होगी तो वायुमंडल में स्थिर हो चुके कार्बन व धूल के कण जमीन पर आ जायेंगे. ऐसा होने पर ही स्मॉग से निजात मिलेगी. मौसम विशेषज्ञ डॉ पांडेय के अनुसार इसके लिए अभी कम-से- कम तीन से चार दिनों तक इंतजार करना होगा.
सांस के रोगियों के लिए घातक बना स्मॉग : प्रदूषित माहौल ने अस्थमा रोगियों की दिक्कत को चारगुना बढ़ा दिया है. सदर अस्पताल में अस्थमा के नये मरीज आ रहे हैं.
अस्पताल में प्रतिदिन 15 से बढ़कर मरीजों की संख्या 42 तक पहुंच चुकी है. डॉ अभिषेक शेखर ने बताया कि प्रदूषित हवाएं सांस की नली में प्रवेश कर उन्हें सिकोड़ दे रही हैं. इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत हो रही है. सदर मास्क लगाकर चलें. स्मॉग का प्रभाव खत्म होने तक सुबह और शाम का टहलना बंद कर दें. बच्‍चों को भी मास्क लगाकर स्कूल भेजें.
सर्वाधिक खराब प्रभाव बच्चों पर : एसएनसीयू में तैनात डॉ सौरव अग्रवाल की मानें तो प्रदूषित वातावरण का सर्वाधिक खराब प्रभाव बच्‍चों पर ही पड़ता है. स्मॉग तो उनके लिए और भी घातक है. मौसम का बदलाव झेल रहे बच्‍चों पर स्मॉग अतिरिक्त मार के रूप में है. यही वजह है कि इस समय इलाज के लिए आ रहे 90 फीसदी बच्‍चे सर्दी, जुकाम और सांस की बीमारी से पीड़ित हैं. इससे बचाव के लिए छोटे बच्चों को अनावश्यक घर से बाहर न निकलने दें.
फसल अवशेष जलाना पर्यावरण के लिए हानिकारक
गोपालगंज. फसल अवशेष जैसे पुआल आदि खेत में जलाना पर्यावरण को प्रदुषित करता ही है, साथ ही खेत की उर्वरा शक्ति को भी कम कर देता है. अगर यह जारी रहा तो खेत बंजर हो जायेंगे. पुआल जलाने को लेकर डीएओ वेदनारायण सिंह ने कहा कि जिले के पश्चिमी क्षेत्र और दियारा इलाके में किसान फसल अवशेष को जलाते हैं.
इसको लेकर पिछले साल से ही जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है तथा किसानों को इसके नुकसान के बारे में बताया जाता है. यह कार्यक्रम लगातार जारी है. प्रत्येक पंचायत में किसान चौपाल होना है. चौपाल के माध्यम से पुन: किसानों को फसल अवशेष न जलाने के लिये जागरुक किया जायेगा. विज्ञापन और अन्य साधनों से भी नुकसान तथा फसल अवशेष न जलाने की जानकारी दी जायेगी. इसके बावजूद किसान नहीं माने तो सरकार के निदेशानुसार कार्रवाई की जायेगी.
शहर में पांच समेत सात स्थानों पर होता है प्रदूषण जांच
शहर में पांच व ग्रामीण इलाके में चार स्थलों पर वाहनों का प्रदूषण जांच होती है. इनमें गोपालगंज शहर के कमला राय कॉलेज के सामने, अरार माड़ पुल के नीचे, ऑफिसर काॅलोनी के पास हाइवे पर, भोरे के वायरलेस मोड़ पर, महम्मदपुर ओवरब्रिज के नीचे, मीरगंज, तथा कटेया ब्लॉक कार्यालय के समीप प्रदुषण जांच केंद्र खोले गये है. जबकि बरहिमा मोड पर प्रदुषण जांच केंद्र खोले जाने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है. औसतन एक केंद्र पर 112 वाहनों की जांच प्रतिदिन हो पाती है.
एक नजर में गोपालगंज शहर का इक्यूआइ
मंगलवार- सुबह 10 बजे-182
शाम चार बजे- 180
पीएम 2.5- 62.2 माइक्रोग्राम घन मीटर
मीरगंज
मंगलवार सुबह 10 बजे- 177
शाम चार बजे- 168
पीएम 2.5- 65.4 माइक्रोग्राम घन मीटर
बरौली
मंगलवार सुबह 10 बजे- 157
शाम चार बजे- 149
पीएम 2.5- 58.1 माइक्रोग्राम घन मीटर
क्या है पीएम 2.5 और पीएम 10
मौसम विज्ञानी डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि पीएम 2.5 से मतलब ऐसे पार्टिकुलेट मैटर से है जिनका आकार 2.5 माइक्रॉन से कम होता है. इसी तरह पीएम 10 में पार्टिकुलेट मैटर का आकार 10 माइक्रॉन से कम रहता है. दोनों ही नंगी आंखों से नजर नहीं आते.
पार्टिकुलेट मैटर का असर
दो माइक्रोन से कम आकार- फेफड़े के अंदर जाते हैं तथा नली में जाकर संक्रमण पैदा कर सकते हैं.
दो से पांच माइक्रोन आकार- फेफड़ों में बुरी तरह जम जाते हैं जो तेज दर्द, संक्रमण और खून की नलियों को प्रभावित कर सकते हैं.
10 माइक्रोन आकार- नाक, गले में दिक्कत हो सकती है. बलगम आना और खांसी की समस्या होती है.
कितना होना चाहिए एअर क्वालिटी इंडेक्स
स्टैंडर्ड नियमों के मुताबिक एअर क्वालिटी इंडेक्स में 0-50 तक की वायु गुणवत्ता को अच्छा माना जाता है, वहीं 51-100 तक संतोषजनक. 100-150 तक औसत तथा 151-300 तक खराब मानी जाती है. 301-400 तक बेहद खराब और 401 से ऊपर यह बेहद गंभीर मानी जाती है.
परिवहन विभाग ने 110 सरकारी वाहनों को किया है कंडम घोषित
परिवहन विभाग ने 110 सरकारी वाहनों को कंडम घोषित कर दिया है. जिला परिवहन पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि प्रदूषण जांच केंद्रों पर एमवीआइ के द्वारा लगातार जांच की जा रही है. इसके अलावा प्रत्येक शनिवार को वाहनों की भी जांच की जा रही है. 15 वर्ष पुराने वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगाया जायेगा.

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