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रोजेदारों की पहली पसंद है तरबूज

गोपालगंज : रमजान के पाक महीने में तरबूज की शरबत सेहत को दुरुस्त रखता है. उत्तर भारत में तरबूज का शरबत तो अधिक लोकप्रिय नहीं है, लेकिन मुंबई में तरबूज का शरबत बहुत पसंद की जाती है. ऊमस और गरमी की तपन के बीच तरबूज के रस जो तृप्ति मिलती है उसे सिर्फ पीकर ही […]

गोपालगंज : रमजान के पाक महीने में तरबूज की शरबत सेहत को दुरुस्त रखता है. उत्तर भारत में तरबूज का शरबत तो अधिक लोकप्रिय नहीं है, लेकिन मुंबई में तरबूज का शरबत बहुत पसंद की जाती है. ऊमस और गरमी की तपन के बीच तरबूज के रस जो तृप्ति मिलती है उसे सिर्फ पीकर ही जाना जा सकता है. मुंबई के तर्ज पर अपने शहर में भी तरबूज की शरबत अब पसंद की जाने लगी है. रोजेदारों के लिए यह शरबत काफी लाभप्रद साबित हुआ है. रात में तरबूज की शरबत लेने से पूरे दिन ताजगी बनी रहती है.

पांच गिलास शरबत बनाने के लिए सामग्री : तरबूज दो से ढाई किग्रा, एक नीबू, एक कप बर्फ के क्यूब्स.
बनाने की विधि : तरबूज को धोकर काटिये. मोटा हरा भाग छील कर निकाल दीजिए. लाल वाले भाग के इतने छोटे टुकड़े कीजिए, जो आपकी मिक्सर में आसानी से चल पाये. मिक्सर में तरबूज के टुकड़े डाल कर मिक्स कीजिए. थोड़ी ही देर में गुदा और रस एकदम घुल जायेगा. अब इस रस को चलनी में छान लीजिए. जूस में स्वाद बढ़ाने के लिए एक नीबू निचोड़ लीजिए और गिलास में डालिए. बर्फ के क्यूब्स डाल कर ठंडा कीजिए. स्वादानुसार इसमें चीनी डाल कर अधिक मीठा भी किया जा सकता है. ठंडा-ठंडा तरबूज की शरबत तैयार है.
चक्कर आने पर लें चिकित्सीय परामर्श : गरमी हमारे शरीर को बुरी तरह प्रभावित करती हैं. सदर अस्पताल के फिजिशियन डॉ कैशर जावेद बताते हैं कि रोजा रहने के दौरान पानी की कमी या कमजोरी की वजह से चक्कर आना स्वाभाविक है. लगातार ऐसा होने पर चिकित्सीय परामर्श अवश्य लें. इस मौसम में बाहरी तापमान बढ़ने से हमारे शरीर का ताप भी बढ़ जाता है, जिससे शरीर डिहाइड्रेड हो जाता है यानी पानी की कमी होने लगती है. इसलिए हमें ऐसा खान-पान रखना चाहिए, जो शरीर को ठंडा रखे.
अपने माल का सही हिसाब कर अदा करें जकात
कुरान-ए-करीम में अल्लाह ताला ने जकात न निकालने वालों पर बड़े सख्त अल्फाज में बयान किया है. फरमाया ‘जो लोग अपने पास सोना, चांदी जमा करते हैं और उसको अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते तो, ऐ नबी (सल्ल.) आप उनको एक दर्दनाक अजाब की खबर दे दीजिए.’ बाद की आयत में इस दर्दनाक अजाब की तफ्सील बयान फरमाई कि ये दर्दनाक अजाब उस दिन होगा, जिस दिन इस सोने और चांदी को आग में तपाया जायेगा और फिर उस आदमी की पेशानी,
उसके पहलू और उसके हाथों को दागा जायेगा और ये कहा जायेगा कि ये है वो खजाना जो तुमने अपने लिए जमा किये थे. आज तुम इस खजाने का मजा चखो, जो तुम अपने लिए जमा करते रहे थे. अल्लाह मुसलमानों को इस दर्दनाक अजाब से महफूज रखे. नबी करीम (सल्ल.) ने फरमाया कि ‘जब माल में जकात की रकम शामिल हो जाये तो वो माल इनसान के लिए तबाही और हलाकत का सबब है.’
इस वजह से इस बात का एहतेमाम करें कि एक-एक पाई का सही हिसाब करके जकात निकाली जाये, क्योंकि इसके बगैर जकात का फरीजा अदा नहीं होता है.
-मौलाना शौकत फहमी, बड़ी मसजिद गोपालगंज

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