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सार्वजनिक पुस्तकालयों में परिवर्तन के सशक्त माध्यम बनने की क्षमता : विष्णु

सीयूएसबी में ग्रामीण छात्रों के विकास में सार्वजनिक पुस्तकालय की भूमिका पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न

फोटो- गया बोधगया 216- राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन पर मौजूद प्राध्यापक व स्टूडेंट्स

सीयूएसबी में ग्रामीण छात्रों के विकास में सार्वजनिक पुस्तकालय की भूमिका पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न

वरीय संवाददाता, गया जी

सीयूएसबी के राजर्षि जनक केंद्रीय पुस्तकालय में राजा राममोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान द्वारा प्रायोजित ग्रामीण छात्रों के विकास में सार्वजनिक पुस्तकालय की भूमिका: चुनौतियां और अवसर विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हो गया. कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में इस कार्यक्रम का शुभारंभ 14 अक्तूबर को पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार सिंह व पुस्तकालय कर्मियों के सहयोग से हुआ था. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि दूसरे दिन कार्यशाला के औपचारिक शुभारंभ के पश्चात इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उप पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ विष्णु श्रीवास्तव ने सार्वजनिक पुस्तकालयों के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सुदृढ़ बनाना: एक विधायी परिप्रेक्ष्य विषय पर कहा कि सार्वजनिक पुस्तकालयों में परिवर्तन के सशक्त माध्यम बनने की क्षमता है. खासकर, ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए, जिनकी अक्सर महत्वपूर्ण शिक्षण सामग्री तक पहुंच नहीं होती. मजबूत कानून ग्रामीण सार्वजनिक पुस्तकालयों को एक स्थिर वित्त पोषण मॉडल प्रदान करके, एक स्पष्ट प्रशासनिक ढांचा स्थापित करके व आधुनिक सेवाओं को अनिवार्य बना कर गतिशील सामुदायिक केंद्रों में बदलने में मदद कर सकते हैं. कई राज्यों में ग्रामीण पुस्तकालय अपर्याप्त वित्त पोषण, कर्मचारियों की कमी व पुराने संसाधनों से बाधित हैं, जबकि केरल और कर्नाटक जैसे मजबूत पुस्तकालय कानूनों वाले अन्य राज्य, एक समृद्ध ग्रामीण पुस्तकालय नेटवर्क की क्षमता प्रदर्शित करते हैं.

ग्रामीण छात्रों तक डिजिटल पहुंच आवश्यक

कार्यशाला में दिल्ली विश्वविद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ राजेश सिंह द्वारा अपनी स्थापित विशेषज्ञता के आधार पर एक विशेष प्रस्तुति 21वीं सदी में सूचना कौशल: व्यावहारिक दृष्टिकोण पर केंद्रित होगी. मुख्य बात यह है कि केवल सूचना तक पहुंचने से आगे बढ़ कर उसका प्रभावी और नैतिक रूप से मूल्यांकन, प्रबंधन व सृजन करने पर ध्यान केंद्रित किया जाय. यह व्यावहारिक दृष्टिकोण इन दक्षताओं को अलग-थलग, सैद्धांतिक अवधारणाओं के रूप में देखने के बजाय उन्हें दैनिक गतिविधियों में एकीकृत करने पर जोर देता है. उन्होंने कहा कि सर्च इंजन एक उपकरण है. सीयूएसबी के सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ मयंक युवराज ने ग्रामीण छात्रों के लिए डिजिटल डिटॉक्स: एक नयी सार्वजनिक पुस्तकालय सेवा पर एक गतिशील प्रस्तुति, संभवतः सार्वजनिक पुस्तकालयों द्वारा ग्रामीण युवाओं में अत्यधिक डिजिटल उपकरणों के उपयोग की बढ़ती समस्या का समाधान सुझाया. यह प्रस्तुति पुस्तकालय की पारंपरिक भूमिका को पुनर्परिभाषित करती है. इसे एक भौतिक और सामाजिक अभयारण्य के रूप में स्थापित करती है जो स्वस्थ तकनीकी आदतों को बढ़ावा देती है और तेजी से डिजिटल होती दुनिया में समग्र कल्याण को बढ़ावा देती है. ग्रामीण छात्रों पर प्रौद्योगिकी का दोहरा प्रभाव डिजिटल खाई को पाटने और उन्हें शैक्षिक संसाधनों से जोड़ने के लिए डिजिटल पहुंच आवश्यक है. लेकिन, अनियंत्रित व अत्यधिक उपयोग के नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं. सीयूएसबी के उप पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ पंकज माथुर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.

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