बोधगया.
सीयूएसबी के जनसंचार एवं मीडिया विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अनिंद्य देब व उनकी शोधार्थी अंजलि जोशी द्वारा लिखित एंडोमेट्रियोसिस से ग्रस्त महिलाओं की प्रकटीकरण गतिशीलता और संचार चुनौतियां शीर्षक पर एक महत्वपूर्ण शोध पत्र स्कोपस-सूचीबद्ध पत्रिका वुमेंस रिप्रोडक्टिव हेल्थ में प्रकाशित हुआ है. सीयूएसबी के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह, जनसंचार विभाग के डीन व प्रमुख प्रो के शिवशंकर और अन्य संकाय सदस्यों ने स्वास्थ्य संचार के क्षेत्र में इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ देब व उनकी शोधार्थी जोशी को बधाई दी है. यह शोध न केवल विद्वानों की समझ को बढ़ाता है, बल्कि एंडोमेट्रियोसिस से जूझ रही महिलाओं की आवाज को भी बुलंद करता है जो स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और समाज दोनों में ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रही है. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि यह शोधपत्र एंडोमेट्रियोसिस से ग्रस्त उन महिलाओं की वास्तविकताओं पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो अक्सर अपनी समस्या बताने से हिचकिचाती हैं. यह शोधपत्र व्यक्तिगत संबंधों और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में अधिक सहायक, सहानुभूतिपूर्ण व सूचित संचार प्रथाओं की तत्काल आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है. डॉ अनिंद्य देब ने कहा कि यह गुणात्मक अध्ययन अपनी तरह का पहला अध्ययन है जो यह पता लगाता है कि एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाएं, विशेष रूप से डिस्परेयूनिया से पीड़ित महिलाएं, अपने अंतरंग साथियों के सामने अपनी स्थिति का खुलासा करने की व्यक्तिगत व अक्सर जटिल प्रक्रिया से कैसे निपटती हैं. नारीवादी दृष्टिकोण से यह शोध यह उजागर करता है कि सामाजिक कलंक और लैंगिक अपेक्षाएं महिलाओं के प्रकटीकरण, भावनात्मक कल्याण और संबंधों के अनुभवों को कैसे प्रभावित करती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

