फोटो-गया-हरिबंश-101 कार्यक्रम के दौरान अतिथि व अन्य संवाददाता, गया डायट में तीन दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यक्रम के दूसरे दिन भी क्रियात्मक शोध पर वक्ताओं ने अपनी बात रखी. कार्यक्रम के माध्यम से क्रियात्मक शोध से शिक्षकों व प्रशिक्षुओं को परिचित कराना है. शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार और शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय गया के प्रो रवि कांत उपस्थित हुए. प्रो रविकांत ने कहा कि प्रत्येक शिक्षक व विद्यार्थी को क्रियात्मक शोध के बारे में जानना चाहिए. जिससे वे अपने विद्यालय की मूलभूत आवश्यकता को जान सके और उस आवश्यकता को पूरा होने में आ रही बाधा को दूर कर सकें. कहा कि कक्षा में पिन ड्रॉप साइलेंस होना कई मायनों में यह दर्शाता है कि शिक्षक से विद्यार्थी डरते हैं जो एक शिक्षक के लिए अच्छे संकेत नहीं है. डायट के प्राचार्य डॉ अजय कुमार शुक्ला ने मुख्य अतिथि सहित विशिष्ट अतिथि डॉ मुजम्मिल हसन का स्वागत किया. डॉ अजय कुमार शुक्ला क्रियात्मक शोध क्यों और क्या’ विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किये. सीयूएसबी के असिस्टेंट प्रो डॉ तरुण त्यागी ने क्रियात्मक शोध के चरण व समस्या की पहचान करने संबंधी विषय से सभी को परिचित कराया. कार्यशाला में शिक्षकों को यह समझाने का प्रयास किया जा रहा है कि किस प्रकार वे अपने शिक्षण कार्य के दौरान उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समाधान क्रियात्मक शोध के माध्यम से कर सकते हैं.
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