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Gaya News : 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

Gaya News : मकर संक्रांति शहर सहित पूरे जिले में आस्था व श्रद्धा के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया. विष्णुपद मंदिर सहित कई अन्य मंदिरों में सुबह से लेकर देर रात तक आस्था का मेला लगा रहा.

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गया. मकर संक्रांति शहर सहित पूरे जिले में आस्था व श्रद्धा के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया. विष्णुपद मंदिर सहित कई अन्य मंदिरों में सुबह से लेकर देर रात तक आस्था का मेला लगा रहा. विष्णुपद मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त के साथ श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जो शुरू हुआ वह देर रात तक जारी रहा. काफी श्रद्धालु अपने घरों से स्नान कर विष्णुपद मंदिर पहुंचे और भगवान श्री विष्णु चरण व अन्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर अपने व परिवार के लिए सुख समृद्धि व खुशहाली की मन्नतें मांगी. वहीं जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से आये अधिकतर श्रद्धालुओं ने फल्गु नदी में बने गयाजी डैम में स्नान कर भगवान श्री विष्णु चरण की पूजा अर्चना किया. मकर संक्रांति पर पूरे दिन विष्णुपद मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही होती रही. मंदिर प्रबंधन समिति की माने तो मकर संक्रांति के अवसर पर मंगलवार को 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान श्री विष्णु चरण का दर्शन पूजन किया. पूजन दर्शन के बाद अधिकतर श्रद्धालुओं ने परंपरा व धार्मिक मान्यता के तहत ब्राह्मणों को चूड़ा, दही, तिलकुट व गुड़ का दान भी किया.

बच्चों व युवाओं ने खूब की पतंगबाजी

मकर संक्रांति सहित कई अन्य पर्व त्योहार में मगध में पतंगबाजी की काफी पौराणिक परंपरा रही है. इस परंपरा का निर्वहन बदलते समय के साथ अब केवल बच्चों व युवाएं ही कर रहे हैं. मंगलवार को मकर संक्रांति पर विशेष कर बच्चों व युवाओं ने जमकर पतंगबाजी किया. वहीं दूसरी तरफ पतंग, लटई व धागे की खरीदारी को लेकर शहर में जगह-जगह लगी स्थायी व अस्थायी दुकानों से खरीदारी भी की. इन सामानों की खरीदारी को लेकर पतंग की अधिकतर दुकानों पर पूरे दिन बच्चे व युवाओं की भीड़ जुटी रही.

पांच हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने किया पिंडदान

मकर संक्रांति पर मंगलवार को फल्गु नदी, देवघाट, विष्णुपद व अन्य वेदी स्थलों पर देश के विभिन्न राज्यों से आये पांच हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने अपने पितरों के आत्मा की शांति व उनके उद्धार की कामना को लेकर पंडाजी के निर्देशन में पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड संपन्न किया. श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य मणिलाल बारिक ने बताया कि मकर संक्रांति पर पिंडदान करने से पितरों को जहां स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है, वहीं श्राद्धकर्ता को भी पितरों का आशीर्वाद व विशेष फल मिलता है. उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति पर मंगलवार को सूर्योदय के साथ पिंडदानियों के वेदी स्थलों पर आने का सिलसिला जो शुरू हुआ वह सूर्यास्त तक जारी रहा. उन्होंने बताया कि मंगलवार को मध्य प्रदेश गुजरात, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित देश के कई अन्य राज्यों से आये पांच हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने फल्गु नदी, देवघाट, गदाधर घाट, विष्णुपद, अक्षयवट, सीता कुंड, प्रेतशिला व अन्य वेदी स्थलों पर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड संपन्न किया.

दो दिन बाद बजेगी शहनाई, 14 मार्च तक रहेगा लग्न

मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो गया. खरमास और चतुर्मास के दौरान मांगलिक कार्य निषेध माना जाता है. अब मकर राशि में सूर्य को प्रवेश करने पर खरमास खत्म हुआ और वैवाहिक कार्यक्रम शुरू होंगे. मकर संक्रांति पर लोगों ने पूजन व दर्शन के बाद दही, चूड़ा, तिलकुट आदि ग्रहण किया. इस संबंध में भारतीय विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य लाल भूषण मिश्र याज्ञिक के मुताबिक मकर संक्रांति के साथ खरमास समाप्त हो गया और विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य शुरू होंगे. 17 जनवरी को दिन में एक बज कर छह मिनट से तिलक मुहूर्त शुरू होता है. 18 जनवरी को दिन में दो बज कर 56 मिनट से विवाह मुहूर्त उत्तम है. 14 मार्च को रात नौ बज कर 24 मिनट से खरमास प्रारंभ हो जाने से विवाह मुहूर्त का अभाव है फिर 16 अप्रैल से विवाह मुहूर्त शुरू हो जायेगा. इनके अलावा कई सामान्य लग्न भी हैं. एक अन्य ब्राह्मण के मुताबिक पंचाङ्गों के अनुसार इस वर्ष जनवरी, फरवरी और मार्च में कई दिन विवाह के अच्छे मुहूर्त, नक्षत्र और लग्न हैं.

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