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नक्शा पास करने की फीस बढ़ी, तो आवेदकों की संख्या हो गयी आधी, जानिए एक कट्ठा जमीन पर लग रहे कितने रुपए

गया में नक्शा पास कराने वालों की संख्या आधी हो गयी है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक कट्ठा जमीन पर मकान का नक्शा स्वीकृत कराने में 65 हजार रुपये खर्च हो रहे हैं, इस पर मेयर ने कहा कि सरकार के नियमानुसार निगम में काम हो रहा है.

Bihar News: गया के शहरी इलाके में मकान बनाने के लिए नक्शा पास कराना महंगा साबित हो रहा है. नक्शा पास कराने के नियम जानने नगर निगम में हर दिन दर्जनों लोग पहुंच रहे हैं, लेकिन पास कराने में लगने वाले पैसों को सुन कर आधा से अधिक लोग दोबारा नहीं पहुंचते. जानकारी के अनुसार, तीन वर्ष पहले तक यहां नक्शा पास कराने में लोगों की भीड़ लगी रहती थी. अब स्थिति यह है कि आवेदन की संख्या किसी माह शुरुआती दो अंक में भी नहीं पहुंच पाती है. इसका मुख्य कारण माना जा रहा है कि हाल के दिनों में विभाग की ओर से नक्शा पास करने की फीस कई गुणा अधिक बढ़ा दी गयी है.

निगम में जानकारी दी गयी कि एक कट्ठा जमीन पर दो तल्ले का नक्शा पास कराने में निगम की ओर से मकान बनाने का खर्च करीब 43 लाख रुपये आंका जाता है. अब करीब 22 हजार व मकान बनाने के खर्च का एक प्रतिशत लेबर वेल्फेयर ऑफिस में 42 हजार से अधिक का ड्राफ्ट जमा करना होता है. करीब 65 हजार रुपये यहां ही खर्च कर देना होता है. इतना पैसा में जमीन पर कुछ हद तक निर्माण कर लिया जायेगा. इसके अलावा नक्शा बनाने वाले इंजीनियर को भी फीस देनी पड़ती है. अन्य की बात ही करना उचित नहीं होगा. पहले इतने जमीन में नक्शा पास कराने में मुश्किल से यह खर्च 20 हजार तक आता था.

क्या है लोगों की प्रतिक्रिया

माड़नपुर के रहने वाले विकास कुमार ने बताया कि नक्शा पास कराने के बाद अगर बैंक लोन किसी कारण से नहीं देती है, तो यह खर्च बोझ बन कर रह जाता है. सामान्य वर्ग के लोगों के लिए निगम से नक्शा पास कराना भी अब संभव नहीं रह गया है. मगध कॉलोनी के रमेश गुप्ता का कहना है कि नक्शा पास कराने में ज्यादातर रुचि नौकरी करने वाले लोग घर बनाने के लिए लोन लेने के लिए करते हैं.

इनको नहीं देना पड़ता है लेबर वेल्फेयर ऑफिस में फीस

मकान बनाने का खर्च अगर 10 लाख से कम नक्शा के हिसाब से आता है, तो उसे व्यक्ति को नक्शा पास कराने में सिर्फ निगम को ही फीस देना होता है. उस व्यक्ति को लेबर वेल्फेयर ऑफिस को फीस नहीं देना पड़ता है. लेकिन, इस तरह का नक्शा ही नहीं बनता है. निगम से मिली जानकारी के अनुसार, 100 नक्शे में एकाधा नक्शा ही इस तरह का आता है.

सरकार के नियमों का किया जा रहा पालन

निगम में नक्शा पास कराने के लिए फीस का निर्धारण सरकार के स्तर पर किया गया है. इन पैसों का उपयोग विकास की योजनाओं को पूरा करने में लगाया जाता है. शहर को बेहतर बनाने के लिए प्लानिंग के तहत ही नया मकान बनाना सही है. नियमों का पालन सभी को चाहिए. निगम की ओर से किसी को परेशान नहीं किया जायेगा. निगम की कोशिश है कि शहर को सुंदर व स्वच्छ बनाया जा सके.

डॉ वीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान, मेयर

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