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Gaya News: ANMMCH के आइ बैंक का बुरा हाल , पांच वर्षों में एक भी जरुरतमंद को नहीं मिली आंख की रोशनी

Gaya news: गया के एएनएमएमसीएच में आइ बैंक जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाने के लिए नवंबर 2019 में खोला गया. यहां पर आंख दान करने वालों के साथ जरूरतमंदों का रजिस्ट्रेशन करने के बाद उन्हें लाभ पहुंचाना था.

Gaya news: गया के ANMMCH ( अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) में आइ बैंक जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाने के लिए नवंबर 2019 में खोला गया. यहां पर आंख दान करने वालों के साथ जरूरतमंदों का रजिस्ट्रेशन करने के बाद उन्हें लाभ पहुंचाना था. लेकिन, करीब पांच साल बीतने के बाद भी एक भी आंख की जरूरत वाले लोगों को लाभ नहीं मिल सका है. सरकार व अस्पताल की ओर से इसे चालू करने से लेकर अब तक करोड़ों रुपये जरूर खर्च कर दिये गये हैं.

2019 में आइ बैंक खुला था

अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, 2019 में आइ बैंक खुलने के बाद कुछ दिनों तक आंख दान करने वालों का रजिस्ट्रेशन काफी संख्या में हुआ. इसमें कई बार कार्यक्रम आयोजित कर लोगों का रजिस्ट्रेशन कराया गया. अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि एक आंख के दानदाता की मृत्यु होने पर उसके परिजन ही आंख देने से साफ इनकार कर दिये. अस्पताल की ओर से यहां कई वर्षों तक डॉक्टर व कर्मचारी के साथ नर्स की प्रतिनियुक्ति की गयी. इसके लिए कई बाद कार्यक्रम हुए. लेकिन, लोगों के फायदे के नाम सिर्फ यहां का आइ बैंक ढाक के तीन पात ही अब तक साबित हुआ है. आइ बैंक के ग्रिल को देख कर ऐसा लगता है कि कई माह से खोला तक नहीं गया है. अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि अंदर रखे लाखों रुपये के अत्याधुनिक उपकरण बंद रहने के कारण खराब हो रहे हैं. बैंक के अंदर रखे उपकरण कोई चुरा नहीं ले, इसके लिए गार्ड रात में एक-दो बार बाहर से ही निगरानी के नाम पर देख कर चले जाते हैं. 

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प्रमंडल का पहला आइ बैंक बदहाल

प्रमंडल के पांचों जिले में देखा जाये, तो सबसे पहले एएनएमएमसीएच में आइ बैंक की शुरुआत की गयी. प्रक्रिया यह थी कि आंख के दानदाता की मौत होने पर कुछ घंटों में उनकी आंख निकाल कर पहले से रजिस्ट्रेशन कराये जरूरतमंदों को लगायी जायेगी. इससे किसी व्यक्ति की मौत के बाद भी उनकी आंख से दूसरे को रोशनी मिल जायेगी. लेकिन, यह सपना अब तक साकार नहीं हो सकता है. हालांकि, आंख दान सप्ताह के दौरान अस्पताल के नाम के लिए बैनर-पोस्टर जरूर लगा दिया जाता है.  

क्या कहते है उपाधीक्षक

सच है कि पांच वर्षों में एक को भी यहां से लाभ नहीं मिल सका है. इसके लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहा है. हालांकि, कर्मचारियों को आदेश दिया जा रहा है कि बैंक में साफ-सफाई हर दिन की जाये. ऐसे विभिन्न संगठनों से वार्ता कर लोगों को इसके लिए प्रेरित करने का प्रयास किया जायेगा. 

डॉ एनके पासवान, उपाधीक्षक, एएनएमएमसीएच 
Anshuman Parashar
Anshuman Parashar
मैं अंशुमान पराशर पिछले एक वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल बिहार टीम से जुड़ा हूं. बिहार से जुड़े सामाजिक, राजनीतिक, अपराध और जनसरोकार के विषयों पर लिखने में विशेष रुचि रखता हूं. तथ्यों की प्रमाणिकता और स्पष्ट प्रस्तुति को प्राथमिकता देता हूं.

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