फोटो- गया बोधगया 212- दीवार पत्रिका काविश के तीसरे अंक के साथ उर्दू विभाग के स्टूडेंट्स
मगध विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में दीवार पत्रिका काविश के तीसरे अंक का हुआ विमोचन,
आज मनाया जायेगा उर्दू दिवस
वरीय संवाददाता, बोधगया
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गध विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में उर्दू दिवस की पूर्व संध्या पर डॉ शकीला निगार के निर्देशन में दीवार पत्रिका काविश के तीसरे अंक का विमोचन हुआ. काविश का यह अंक शायरे मशरिक (पूरब का कवि) अल्लामा इकबाल पर आधारित रहा. डॉ शकीला निगार ने बताया कि अल्लामा इकबाल का शुमार 20वीं सदी के महानतम कवियों में होता है. उनका जन्म दिवस नौ नवंबर को उर्दू दिवस के रूप में मनाया जाता है. अल्लामा इकबाल उर्दू, फारसी, अरबी व अंग्रेजी भाषा के बेहतरीन ज्ञाता थे. उन्होंने फारसी व उर्दू दोनों भाषाओं में साहित्यिक रचनाएं पेश कीं. वह फारसी शायर रूमी तथा पंजाब के लोकप्रिय सूफी बुल्लेशाह से अत्यंत प्रभावित थे. उन्हें असरा ए खुदी रुमूज ए बेखुदी तथा काव्य रचनाओं से साहित्य जगत में प्रसिद्धि मिली. उनकी रचनाओं में गजलें तथा कविताएं समान रूप से महत्व रखती हैं. उनकी संपूर्ण रचनाओं को चार दौर में विभाजित किया जाता है. प्रारंभिक दौर की कविताओं में हिमालया, बच्चे की दुआ, तराना ए हिंदी (भारतीयों का गान), परिंदे की फरियाद (एक पक्षी की प्रार्थना) विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं. उनकी रचनाओं में खुदी अर्थात स्वयं की पहचान तथा बेखुदी अर्थात निःस्वार्थता पर विशेष बल दिया गया है. काविश के माध्यम से अल्लामा इकबाल की जीवनी, उनके कविता लेखन, गजल लेखन आदि को संक्षिप्त रूप से पेश करने की कोशिश की गयी है. काविश के तीसरे अंक को तैयार करने में उर्दू विभाग के विद्यार्थियों ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया. इनमें गजाला परवीन, राहत परवीन, काजल परवीन, महजबीन खातून, चंद्रभूषण कुमार, मरग़ूब हसन, उजैर अहमद, दिलशाद अहमद के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं. इस अवसर पर डॉ मिन्हाज (गया कॉलेज, गया), डॉ शाहिद रिजवी, डॉ तरन्नुम जहां, डॉ जियाउल्लाह अनवर, डॉ सिम्मी इकबाल, शिक्षकेत्तर कर्मी तथा अन्य छात्र व छात्राएं उपस्थित रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

