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कोलकाता में अमेरिकी सेंटर पर हमला करने वाला आतंकी गया से गिरफ्तार

झारखंड, गया पुलिस व गुजरात एटीएस ने खेतों से दबोचा गया/हजारीबाग : गया जिले के नीमचक बथानी थाना क्षेत्र स्थित धरमुचक गांव से कोलकाता में अमेरिकी सेंटर पर आतंकी हमले में पंद्रह वर्षों से फरार लश्कर-ए-तोयबा के संदिग्ध आतंकी मो गुलाम सरवर को गिरफ्तार किया गया है. उसकी गिरफ्तारी संदिग्ध आतंकी हसन इमाम (हसन अली) […]

झारखंड, गया पुलिस व गुजरात एटीएस ने खेतों से दबोचा
गया/हजारीबाग : गया जिले के नीमचक बथानी थाना क्षेत्र स्थित धरमुचक गांव से कोलकाता में अमेरिकी सेंटर पर आतंकी हमले में पंद्रह वर्षों से फरार लश्कर-ए-तोयबा के संदिग्ध आतंकी मो गुलाम सरवर को गिरफ्तार किया गया है. उसकी गिरफ्तारी संदिग्ध आतंकी हसन इमाम (हसन अली) की निशानदेही पर झारखंड पुलिस, गुजरात एटीएस व गया पुलिस के सहयोग से की गयी है. सरवर की गिरफ्तारी शुक्रवार की रात खेतों में काम करने के दौरान हुई. हसन इमाम व गुलाम सरवर चचेरे भाई हैं. हसन पर उक्त आतंकी हमले में काले रंग की
कोलकाता में अमेरिकी सेंटर पर…
मोटरसाइकिल मुहैया कराने का आरोप है. औरंगाबाद जिले से हुई हसन इमाम की गिरफ्तारी के बाद कोलकाता कोर्ट में मामला चल रहा है. गुलाम सरवर की गिरफ्तारी के बाद लोगों को माजरा समझ में नहीं आया और गांव के लोग देर रात तक थाने में जमे रहे. जब पुलिसवालों ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति का आतंकी कनेक्शन है, तब लोग पीछे हटे. जानकारी के मुताबिक, गुलाम सरवर की बीवी रौशन जहां, पुत्र मो अख्तर, मो गौहर, मो मोहसिन व मो अकरम है. इनमें अकरम अंधा है. सभी गांव में ही अपने रिश्तेदार मो सरफराज के यहां किराया पर रहते हैं. पत्नी का कहना है कि पहले गुलाम सरवर बरही (हजारीबाग) में मोबिल पार्ट्स की दुकान चलाते थे. एक बार बिजनेस में घाटा लगा, तो उसकी भरपाई के लिए घर से तीस हजार रुपये लेकर बरही जा रहे थे कि रास्ते में पॉकेटमारी हो गयी.
इसके बाद गुलाम सरवर घर पर आकर खेती-बाड़ी करने लगे. कुछ दिनों तक गांव में ही उन्होंने उत्कर्ष केंद्र में शिक्षक का काम किया. केंद्र में बच्चों को लाने की भी जिम्मेवारी थी. वहीं, गांव के सद्दाम, तस्लीम, मंजर आलम व उपेंद्र केवट सहित अन्य लोगों का कहना है कि दोस्ती निभाने के चक्कर में गुलाम सरवर फंस गया. घर की महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल था. गांववालों ने बताया कि गुलाम सरवर ने अपनी जान-पहचान का इस्तेमाल करते हुए हसन इमाम को बरही में किराये पर मकान दिलवाया था. मकान दिलवाना ही गुलाम के लिए जी का जंजाल बन गया.

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