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”गाैर बदन, लंबी काया, ऊपर-नीचे खादी पहनावा…”

गया. जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में जनकवि सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र की अध्यक्षता में साहित्य के क्षेत्र में गया के गाैरव हंस कुमार तिवारी की 98वीं जयंती मनायी गयी. सीधे-सादे व सरल स्वभाव के कवि व साहित्यकार हंस कुमार तिवारी के संबंध में डॉ सुधांशु कुमार ने कहा- ‘गाैर बदन, लंबी काया, ऊपर-नीचे खादी पहनावा, […]

गया. जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में जनकवि सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र की अध्यक्षता में साहित्य के क्षेत्र में गया के गाैरव हंस कुमार तिवारी की 98वीं जयंती मनायी गयी. सीधे-सादे व सरल स्वभाव के कवि व साहित्यकार हंस कुमार तिवारी के संबंध में डॉ सुधांशु कुमार ने कहा- ‘गाैर बदन, लंबी काया, ऊपर-नीचे खादी पहनावा, मुख में सदा पान की लाली, हंसमुख चेहरा लुभानेवाली’. विजय कुमार सिन्हा ने उन्हें अपना साहित्यिक गुरु बताया. उन्हाेंने उनकी रचना अनादर, रिमझिम, नवनीत के अलावा उनके बंगला अनुवाद की चर्चा की.

इस गीत से ‘गीत का स्वर बुलाता तुम्हे हर निमिष, गीत के देवता तुम कहां खाे गये…’ के साथ श्रद्धांजलि दी. इस माैके पर संजीत कुमार, नवीन नवनीत, मुंद्रिका सिंह, वासुदेव प्रसाद, शिव प्रसाद सिंह, जयराम कुमार सत्यार्थी व सुमंत ने उन्हें काव्यांजलि दी.

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