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गया में मांझी के काफिले पर हमला, गाडि़यां फूंकीं
हंगामा. लोजपा नेता व भाई की हत्या के बाद भड़की िहंसा पूर्व सीएम ने भाग कर सीआरपीएफ कैंप में ली शरण डुमरिया/इमामगंज : गया जिले के नक्सलग्रस्त डुमरिया प्रखंड की काचर पंचायत में लोजपा नेता व भाई की हत्या के बाद गुरुवार को हिंसा भड़क गयी. उपद्रवियों ने हत्या के करीब 20 घंटे बाद शव […]
हंगामा. लोजपा नेता व भाई की हत्या के बाद भड़की िहंसा
पूर्व सीएम ने भाग कर सीआरपीएफ कैंप में ली शरण
डुमरिया/इमामगंज : गया जिले के नक्सलग्रस्त डुमरिया प्रखंड की काचर पंचायत में लोजपा नेता व भाई की हत्या के बाद गुरुवार को हिंसा भड़क गयी. उपद्रवियों ने हत्या के करीब 20 घंटे बाद शव को उठने दिया. इस दौरान लोगों ने जम कर उत्पात मचाया. पुलिस की टीम पर ईंट-पत्थर बरसाये ही, साथ ही मृतकों के परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के काफिले पर भी हमला बोल दिया.
उनकी एस्कॉर्ट जीप में आग लगा दी. सीआरपीएफ जवानों की दो बाइकों को भी फूंक दिया. जिला प्रशासन ने हंगामे के कारण जमुई सांसद चिराग पासवान को डुमरिया जाने से रोक दिया. उन्हें मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल जाकर परिजनों से मिलना पड़ा. काफी हंगामे व उपद्रव के बाद करीब 12 बजे दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा जा सका.
जानकारी हो कि मुखिया पद की प्रत्याशी व निवर्तमान मुखिया कुमारी माया के पति सह लोजपा के प्रखंड अध्यक्ष सुदेश पासवान व उनके चचेरे भाई पंचायत समिति सदस्य पद की उम्मीदवार कांति देवी के पति सुनील पासवान की दुआठ गांव में बुधवार को गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी.
करीब 20 घंटे तक किया हंगामा
बुधवार की दोपहर दोनों भाइयों की दुआठ में चुनाव प्रचार के दौरान हत्या के बाद काफी देर तक शव मौके पर ही रहे. दिनदहाड़े नक्सली हमला होने से गांववाले व प्रचार में साथ गये लोग भयभीत थे. देर शाम सिटी एसपी अवकाश कुमार के नेतृत्व में जिला मुख्यालय से अधिकारियों के पहुंचने के बाद शवों को काचर लाया गया. इसके बाद डुमरिया के चरवाहा विद्यालय के पास सुदेश के नये मकान के समीप लोगों ने शवों को थाना ले जाने से रोक दिया.
लोगों ने घर के पास ही सड़क पर शवों को रख दिया और प्रदर्शन करने लगे. यह सिलसिला लगभग रात भर चला. गुरुवार की सुबह करीब साढ़े छह बजे डीएम कुमार रवि व एसएसपी गरिमा मलिक मौके पर पहुंचे. काफी देर तक समझाया-बुझाया, पर बात नहीं बनी. लोगों का कहना था कि चुनाव प्रचार के दाैरान हमेशा दलिताें की ही हत्या हाेती रही है.
बुधवार को भी ऐसा ही हुआ. उनकी मांग थी कि मुख्यमंत्री स्वयं डुमरिया आयें और यहां के हालात देखें. उन्हें बताना होगा कि कब तक दलित मारे जाते रहेंगे. इस दौरान करीब साढ़े आठ बजे आैरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह भी घटनास्थल पर पहुंचे. उन्हाेंने हंगामा कर रहे लाेगाें काे समझाया. मृतकों के परिजनों को समझाया, उन्हें सांत्वना दी.
आला अधिकारियों ने संभाला मोरचा
इधर, मौके पर प्रशासनिक महकमा भी जमा रहा. डीएम, एसएसपी व सिटी एसपी के बाद एक बजे के आसपास प्रमंडलीय आयुक्त लियान कुंगा व डीआइजी भी पहुंचे. सभी आलाधिकारियों ने मृतकों की पत्नियों के अलावा उनके परिजनों से मुलाकात की.
सुदेश पासवान की पत्नी कुमारी माया व सुनील पासवान की पत्नी कांति देवी ने हत्यारों को फांसी देने, 30-30 लाख रुपये मुआवजा देने व एक-एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की मांग की. अफसरों ने उन्हें आश्वस्त किया कि अनुसंधान चल रहा है. उचित मुआवजा दिया जायेगा. डीआइजी व एसएसपी ने बताया कि उपद्रवियाें की वीडियाे फुटेज से पहचान कर कार्रवाई की जायेगी.
मांझी के पहुंचते ही बरसाने लगे ईंट-पत्थर
लोगों के मान-मनौव्वल का सिलसिला चल ही रहा था कि गुरुवार को करीब 10 बजे पूर्व मुख्यमंत्री सह इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के विधायक जीतनराम मांझी के डुमरिया थाने से दाे साै गज पीछे रहने की सूचना मिली. वहां लोगों ने ईंट व पत्थर से बैरियर बना दिया था. जैसे ही उनका काफिला बैरियर के पास पहुंचा, लोग जीतनराम मांझी के विरोध में नारे लगाते हुए उनके काफिले पर टूट पड़े. ईंट-पत्थर बरसाने शुरू कर दिये. उन्हें एस्कॉर्ट कर रही गाड़ी को लोगों ने पलट दिया और उसमें आग लगा दी.
वहीं, पास में ही खड़ीं सीआरपीएफ की दाे बाइकों (अपाचे) काे भी आग के हवाले कर दिया. इस बीच, जीतनराम मांझी की गाड़ी के ड्राइवर ने सूझ-बूझ दिखाते हुए अपनी गाड़ी मोड़ ली और रेफरल अस्पताल कैंपस स्थित 153-सीआरपीएफ कैंप में शरण ली. इससे पहले पत्थरबाजी में एएसपी (अभियान) मनाेज यादव व चार पुलिसकर्मी घायल हो गये. यहां करीब 700 उग्र लोग जमा हो गये. उपद्रवियाें काे शांत कराने के लिए सीआरपीएफ के जवानाें ने पांच राउंड हवाई फायरिंग भी की. पुलिस ने मौके से 25 लाेगाें काे हिरासत में लिया है. करीब 24 बाइकें भी जब्त की गयी हैं.
डुमरिया केस में दर्ज हुईंं तीन प्राथमिकियां
डुमरिया के काचर गांव के लाेजपा प्रखंड अध्यक्ष सुदेश पासवान व उनके चचेरे भाई सुनील पासवान की चुनाव प्रचार के दाैरान बुधवार काे दुआठ गांव में भाकपा-माआेवादियों द्वारा की गयी हत्या के बाद भड़की हिंसा, काचर व डुमरिया में राेड जाम करने, पूर्व मुख्यमंत्री पर जानलेवा हमला करने, उनके एस्कॉर्ट वाहन फूंकने और सीआरपीएफ की दो बाइकों को फूंकने के मामले में पुलिस की आेर से दाे प्राथमिकियां दर्ज करायी गयी हैं.
उधर, मृतक सुदेश पासवान व सुनील पासवान की पत्नियाें ने पतियों की हत्या के मामले में थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है. डुमरिया थानाध्यक्ष ने सिर्फ इतना ही बताया कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. उन्होंने व्यस्तता की वजह से बाद में जानकारी लेने की बात कही थी. लेकिन, बाद में उनका माेबाइल बंद मिला. इस कारण पूरी जानकारी नहीं मिल सकी.
हमला करने वाले 17 गिरफ्तार परिजनों को 12.5 लाख मुआवजा
पटना. एडीजी (मुख्यालय) सुनील कुमार ने कहा कि पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के काफिले पर हमला करने के मामले में 17 असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा कि दोनों मृतक के परिजनों को राज्य सरकार ने 5-5 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है. चूकिं इनकी हत्या नक्सली वारदात में हुई है, इसलिए एससी-एसटी एक्ट के तहत इन्हें अलग से 7.5-7.5 लाख रुपये मुआवजा दिया जायेगा. इस तरह परिजनों को 12.5-12.5 लाख रुपये दिये जायेंगे.
चेक जिला प्रशासन की तरफ से पीड़ित परिवार के लोगों को दे दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम के कारकेड प्रभारी को स्थानीय डीएम और इमामगंज प्रशासन ने एडवाइजरी भी जारी की थी, जिसमें उस स्थान पर नहीं जाने की सलाह दी गयी थी. परंतु इस एडवाइजरी पर अमल नहीं किया गया. एडीजी ने कहा कि बुधवार को डुमरिया में दो लोगों सुदेश और सुरेश पासवान की हत्या अज्ञात नक्सलियों ने की है. इनकी हत्या के सटीक कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है. इसकी जांच चल रही है.
निर्माण कंपनी को सुरक्षा मिली
एडीजी ने कहा कि समस्तीपुर में निर्माण कंपनी चड्डा एंड चड्डा से रंगदारी मांगने के मामले को पुलिस ने गंभीरता से लिया है. कंपनी से मुकेश पाठक गिरोह ने एक करोड़ की रंगदारी मांगी है. कंपनी के समस्तीपुर जिला स्थित बेस कैंप में पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी गयी है. कंपनी के लोगों को बॉडीगार्ड भी मुहैया करा दिये गये हैं. पुलिस इस मामले की तह तक छानबीन करने में जुटी हुई है.
36 साल के राजनीतिक जीवन में नहीं देखे ऐसे हालात : मांझी
गया. अपने ऊपर हुए हमले के बाद पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने कहा कि 36 साल के राजनीतिक जीवन में उन्होंने बिहार में ऐसे हालात नहीं देखे़ नीतीश कुमार कहते फिर रहे हैं कि बिहार में सुशासन चल रहा है. क्या यही सुशासन है?
इस अवस्था में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना ही चाहिए. एक चैनल के साथ बातचीत में श्री मांझी ने कहा कि गुरुवार की सुबह डुमरिया में सीआरपीएफ कैंप के पास उन्हें जाने से मना किया गया था. पर, स्थानीय विधायक होने के नाते उन्होंने जाने का निर्णय लिया. जब उनका काफिला आगे बढ़ा, तो थाने से पहले ही एक रोड ब्रेकर के पास बड़ी संख्या में लोग जमा थे. सभी के हाथों में ईंट-पत्थर थे. वे रोड़ेबाजी भी कर रहे थे. इसी बीच कुछ उपद्रवियों ने उनकी एस्कॉर्ट जीप पर हमला कर उसमें आग लगा दी. वह जिस गाड़ी में बैठे थे, उसके ड्राइवर ने पास में ही सीआरपीएफ कैंप में गाड़ी लगा दी और वह वहीं बैठे गये़
श्री मांझी ने कहा कि दोनों भाइयों के हत्यारे ही उत्पात मचाये हुए हैं. वे पीड़ितों के प्रति लोगों व सरकार की सहानुभूति नष्ट करना चाहते हैं. पता चला है कि उपद्रवियों ने पीड़ितों के परिजनों के साथ मारपीट भी की है.
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