बहुरेंगे आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज अस्पताल के दिन फोटो – सिटी 01, 02, 03, 04 – कॉलेज के प्राचार्य डॉ आरडी मिश्र का. फ्लैग — खुशखबरी. सात साल बाद नामांकन की अनुमति मिलने के आसारकॉलेज में युद्धस्तर पर चल रहा मरम्मत कार्यशिक्षकों की संख्या बढ़ाने के लिए विज्ञापन जारीसंवाददाता, गया बिहार के नंबर वन आयुर्वेद कॉलेज में शुमार रहे गया के आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज अस्पताल के दिन जल्द बहुरने के आसार हैं. प्रमंडलीय आयुक्त सह कॉलेज के शासी निकाय की अध्यक्ष वंदना किन्नी व सचिव डीडीसी संजीव कुमार की पहल पर घुघरीटांड़ स्थित इस कॉलेज को फिर से पुराने ट्रैक पर लाने का प्रयास किया जा रहा है. वर्ष 2008 में निरीक्षण के दौरान सीसीआइएम (भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद, नयी दिल्ली) की टीम ने कॉलेज में टेक्नीशियन व शिक्षकों की कमी बता कर नामांकन पर रोक लगा दी थी. वर्ष 1972 में स्थापित आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सभी विभागों के अलग-अलग वार्ड हैं. जानकारी के अनुसार, पिछले दिनों शासी निकाय की बैठक में कॉलेज की चहारदीवारी व भवनों की मरम्मत के लिए कॉलेज विकास कोष में मौजूद 14,14,650 रुपये में से 10 लाख रुपये से कार्य कराने का निर्णय लिया गया. साथ ही, सभी कर्मचारियों काे जनवरी 2015 से दिसंबर तक का वेतन भुगतान करने पर भी फैसला लिया गया. यह भी कहा गया कि कॉलेज में नामांकन की अनुमति व इसकी स्थिति में सुधार आने पर बकाया वेतन व नये वेतनमान पर निर्णय लिया जायेगा. बैठक में प्राचार्य को यह भी निर्देश दिया गया कि जो भी कर्मचारी कॉलेज से वेतन ले रहे हैं, उनसे वह पद के अनुसार कार्य लें. अगली बैठक में नामांकन शुल्क का निर्धारण करने का भी निर्णय लिया जायेगा. फिलहाल कॉलेज में भवन की मरम्मत व चहारदीवारी बनाने का कार्य युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है. इसके अलावा कॉलेज में शिक्षकों की बहाली के लिए अखबार में विज्ञापन भी जारी किया गया है. कॉलेज को चलाने के लिए है शासी निकायआयुर्वेद मेडिकल कॉलेज अस्पताल को चलाने के लिए एक शासी निकाय बनाया गया है. इसके अध्यक्ष मगध प्रमंडल आयुक्त, सचिव डीडीसी व सदस्य के रूप में मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी, स्थानीय विधायक, कॉलेज के प्राचार्य व शिक्षक प्रतिनिधि होते हैं. कॉलेज का कोई भी निर्णय शासी निकाय की बैठक के बिना नहीं लिया जाता है. अस्पताल में हैं 120 बेडआयुर्वेद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 120 बेड भी हैं, जो रख-रखाव के अभाव में जर्जर स्थिति में पहुंच गये हैं. इसके अलावा जांच उपकरण भी धूल व जंग के कारण बरबाद हो रहे हैं. कॉलेज में इसीजी व एक्सरे मशीनें चालू हालत में हैं, जो टेक्नीशियन के अभाव में बेकार पड़ी हैं. आपसी लड़ाई के कारण हुआ शिक्षकों का पलायन2008 तक कॉलेज में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. उसके बाद प्राचार्य के पद को लेकर कई प्राध्यापकों में लड़ाई छिड़ गयी और कॉलेज राजनीति का अखाड़ा बन गया. आपसी लड़ाई के कारण कोई अधिकारी भी इस कॉलेज के विकास में ज्यादा रुचि नहीं दिखायी. इसके बाद कॉलेज में नामांकन भी बंद कर दिया गया. शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन भी मिलना बंद हो गया. 139 महीनों (करीब साढ़े 11 साल) से यहां के शिक्षक व कर्मचारियों का वेतन बंद हैं. अब इनके सामने भुखमरी की स्थिति अा गयी है. फिलहाल कॉलेज में 28 शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी पदस्थापित हैं. सीसीआइएम के अनुसार, कॉलेज में 28 शिक्षक होना अनिवार्य है, लेकिन महज छह शिक्षक ही हैं. बीच में कई विभागों में शिक्षकों की बहाली की गयी, लेकिन सीसीआइएम ने उन्हें शिक्षक मानने से इंकार कर दिया. हालांकि, इन बहाल शिक्षकों से कॉलेज प्रशासन निरंतर शिक्षण कार्य कराती रही. अब इस पर संशय हो गया है कि नये प्राध्यापकों की बहाली के बाद इन बहाल शिक्षकों का क्या होगा. अगले सत्र में मिल जायेगा नामांकन का आदेशसत्र 2016 के लिए कॉलेज में नामांकन की अनुमति मिलने के आसार जाग गये हैं. पूर्ण विश्वास है कि सीसीआइएम के आदेश का अनुपालन करने के बाद अगले सत्र में नामांकन का आदेश मिल जायेगा. 2009-2010 में कॉलेज में बहाल शिक्षकों के बारे में शासी निकाय बैठक कर निर्णय लेगी. अभी इन शिक्षकों की बहाली को सीसीआइएम ने वैद्य मानने से इनकार कर दिया है. नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद कॉलेज फिर से पुराने रंग में लौट आयेगा.डॉ आरडी मिश्र, प्राचार्य, आयुर्वेद कॉलेज सह अस्पताल, गया\\\\\\\\B
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