गया : शहर में कई लोग डायबिटीज की चपेट में हैं. साइलेंट किलर के नाम मशहूर यह बीमारी वाकई चुपचाप तेजी से फैल रही है. रविवार को गांधी मैदान में माॅर्निंग वाॅक करने आनेवाले लोगों के बीच जब लायंस क्लब आॅफ गया की टीम पहुंची, तो शहर में डायबिटीज की स्थिति खुल कर सामने आ गयी है.
दरअसल लायंस क्लब ऑफ गया की ओर विश्व मधुमेह सप्ताह के तहत लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है. इसी कड़ी में क्लब के सदस्य प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ सह डायबिटीज विशेषज्ञ डाॅ विजय करण के साथ माॅर्निंग वाॅक करने आने लोगों का ब्लड शुगर जांचने पहुंचे. गांधी मैदान में लगभग 200 लोगों की जांच की गयी.
इनमें से 60 लोग यानी 30 प्रतिशत लोगों में डायबिटीज पाॅजिटीव पाया गया. 40 लोग यानी 20 प्रतिशत डायबिटीज बाॅर्डर लाइन पर थे. जांच के दौरान कई ऐसे लोग भी मिले जिनके शरीर में ब्लड शुगर लेवल काफी हाइ था. ये वह लोग थे जो नियमित माॅर्निंग वाॅक करने अाते हैं, जब उनकी स्थिति ऐसी है तो यह सोचने की बात है कि वैसे लोग जो व्यायाम नहीं करते हैं उनके शरीर की स्थिति कैसी होगी.
जेस्टेशनल डायबिटीज
यह गर्भवती स्त्रियों को होता है. इस तरह का अस्थायी डायबिटीज अधिकतर गर्भावस्था के सातवें महीने में होता है और शिशु जन्म के बाद ठीक हो जाता है. इस तरह का डायबिटीज होने का जोखिम ज्यादा मोटी गर्भवती महिलाओं में होता है.
डायबिटीज से बचने के उपाय
उचित आहार- सही समय पर सही मात्रा में खाएं, तीन बार भर पेट भोजन करने के बदले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पांच बार खाएं, अधिक चीनी या अधिक तैल युक्त पदार्थ न खाएं, खाने में हरी सब्जियां, साग, ताजा फल, सेब,नाशपति, अमरूद तथा पपीता पर्याप्त मात्रा में लें. धूम्रपान व शराब का त्याग करें.
नियमित व्यायाम- व्यायाम अपको मानसिक व शारीरिक रूप से बेहतर बनाता है और इससे आपका शर्करा का स्तर भी नियंत्रित रहता है. व्यायाम में तैरना, योग, साइकिल चलाना, तेज चलना व जाॅगिंग को शामिल किया जा सकता है. तेज चलना एक बेहतर व्यायाम है. इससे दिमाग को आराम मिलता है और अवसाद कम होता है. यह तनाव का सामना करने में मदद करता है. इससे शरीर का लचीलापन बढ़ता है और मांसपेशी व हड्डियों का जोड़ मजबूत होता है.
ब्लड शुगर की निगरानी करना डाॅ करण ने बताया कि खाली पेट में ब्लड शुगर लेवल 126 mg/dl या उससे अधिक तथा खाने के दो घंटे के बाद ब्लड शुगर लेवल अगर 200 mg/dl से ज्यादा है तो सतर्क रहने की जरूरत है. एेसी स्थिति में चिकित्सक की सलाह लेना बहुत जरूरी है.
डायबिटीज के प्रकार
टाइप 01
इसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन तैयार नहीं कर पाता है. इंसुलिन के अभाव में कोशिकाएं शर्करा का उपयोग नहीं कर पाती. फलस्वरूप रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है. यह प्राय: बच्चों और युवाओं में होता है. इसके लिए इंसुलिन लेना ही एक मात्र उपाय होता है. इसे इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज भी कहते हैं.
मुख्य रूप से 40 वर्ष से अधिक उम्र तथा मोटे लोगों को होता है. इसका मुख्य कारण शरीर द्वारा कम मात्रा में इंसुलिन तैयार करना या शरीर में तैयार होने वाले इंसुलिन असरकारक नहीं होता है. इस बीमारी में 5-10 वर्ष तक रोगी को कोई तकलीफ नहीं होती है. पर, बीमारी की पकड़ खून या पेशाब में चीनी की जांच कराने से की जाती है.
मुख्य लक्षण
- बहुत अधिक भूख या ज्यादा प्यास लगना.
- बार-बार पेशाब लगना.
- अचानक वजन कम हो जाना.
- बहुत अधिक थकान लगना.
- बार-बार संक्रमण होना.
- कटन या घाव का बहुत समय तक ठीक न होना.
- हाथ या पैर में झुनझुनी होना या सुन्न पड़ जाना.
- आंखों से धुंधला दिखायी देना.
- यौन क्रियाओं में रुकावट आना.
- त्वचा रूखी हो जाना या खुजली होना.
डायबिटीज रोगी दें ध्यान
- साल में एक बार आंखों की जांच जरूर कराएं.
- रक्त में ग्लूकोज व कोलेस्ट्राॅल पर नियंत्रण रखें.
- पेशाब में प्रोटीन और औमाइक्रोएलबुनियम की जांच जरूर कराएं.
- ब्लडप्रेशर पर नियंत्रण रखें.
- मीट या अधिक प्रोटीन युक्त पदार्थ का सेवन न करें.
ब्लड शुगर को ऐसे समझें
- जांच के प्रकार डायबिटीज नहीं है डायबिटीज बाॅर्डर लाइन डायबिटीज है
- खाली पेट 100mg/dl 101-125 mg/dl 126-140 mg/dl
- भोजन के दो घंटे बाद 140 mg/dl 141-199 mg/dl 200 mg/dl या अधिक
क्या कहते हैं डॉक्टर
हम लोगों ने जब गांधी मैदान में सुबह माॅर्निंग वाॅक करने आनेवाले लोगों की डायबिटीज जांच की तो नतीजे काफी चिंतित करने वाले थे. 30 प्रतिशत लोगों का डायबिटीक होना गंभीर विषय हैं जरूरत है कि लोग सतर्क रहें और उपचार कराते रहें. तमाम उपचार के साथ-साथ तनावमुक्त जीवनशैली भी बहुत जरूरी है.
आप किसी पेशे से जुड़ें हों, उसे आनंद और रुचि के साथ निर्वहन करें. अपने कार्यस्थल पर तनाव की स्थिति पैदा न होने दें. सुनिश्चित करें कि कम से कम छह घंटे जरूर नींद लें और अपने परिवार के साथ भी वक्त बितायें. एक खुशहाल जीवनशैली कई बीमारियों को आपके शरीर में पैदा होने से रोकती है.
डाॅ विजय करण, शिशु रोग विशेषज्ञ सह डायबिटिक एक्सपर्ट
डायबिटीज का असर
डाॅ विजय करण ने कहा कि बचने के हर संभव प्रयास के बाद भी यदि व्यक्ति को डायबिटीज हो जाता है तो कोशिश करनी चाहिए कि वह नियंत्रित रहे. क्योंकि, अनियंत्रित डायबिटीज से बहुत सारी जटिलताएं हो सकती है. रक्त में ग्लूकोज व काॅलेस्ट्राॅल के अधिक स्तर के कारण रक्तवाहिनियां कमजोर व अवरुद्ध हो जाती हैं. इसकी वजह से अांखों में मोतियाबिंद या ग्लूकोमा होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
इसके अलावा किडनी खराब होने, हृदय संबंधी बीमारी, यौन क्रियाएं संबंधी, नसों से संबंधित, पैरों में गैंगरीन की समस्याएं होने की संभावनाएं बहुत अधिक हो जाती है. हृदय संबंधी बीमारी में सबसे बड़ा खतरा ये है कि इसमें दिल का दौरा पड़ने पर दर्द नहीं होता ऐसे में समझ पाना बहुत मुश्किल हो जाता है.