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खींचतान में देर से पटना भेजे गये बच्चों के ब्लड सैंपल

गया : इन दिनों तेज बुखार से पीड़ित बच्चे इलाज के लिए मगध मेडिकल पहुंच रहे हैं. इनकी बीमारी की पहचान अब तक नहीं हो सकी है. अस्पताल प्रशासन की ओर से अब तक मीडिया को बताया जाता रहा कि सभी संदिग्ध मरीजों का ब्लड सैंपल लेकर राजेंद्र मेमोरियल इंस्टीट्यूट, पटना जांच के लिए भेजा […]

गया : इन दिनों तेज बुखार से पीड़ित बच्चे इलाज के लिए मगध मेडिकल पहुंच रहे हैं. इनकी बीमारी की पहचान अब तक नहीं हो सकी है. अस्पताल प्रशासन की ओर से अब तक मीडिया को बताया जाता रहा कि सभी संदिग्ध मरीजों का ब्लड सैंपल लेकर राजेंद्र मेमोरियल इंस्टीट्यूट, पटना जांच के लिए भेजा गया है.

दो दिनों में रिपोर्ट आने के बाद बीमारी का खुलासा हो जायेगा. लेकिन, पांच-छह दिन गुजर जाने के बाद भी अस्पताल प्रशासन को रिपोर्ट नहीं मिली.

अस्पताल में आपसी खींचतान का नतीजा रहा कि पीड़ित बच्चों का ब्लड सैंपल जांच के लिए देर से भेजा गया, इसके कारण जांच नहीं हो सकी है. अस्पताल के विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सबसे गड़बड़ी यहां हुई कि सैंपल पटना गया या नहीं इसकी मॉनीटरिंग किसी ने नहीं की. सिर्फ सैंपल निकाल कर कॉलेज के बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट को भेज दिया गया.

सैंपल पटना ले जाने के लिए कर्मचारियों में सिर्फ एक-दूसरे को कहा जाता रहा. इसमें ही दो दिन बीत गये. तीन-चार दिन तक रिपोर्ट नहीं मिलने के बाद अधीक्षक ने संपर्क किया, तो पटना से बताया गया कि समय पर नहीं भेजने के कारण ब्लड सैंपल जांच के लायक ही नहीं रहे हैं. इसे जांच करने पर बीमारी स्पष्ट होने की संभावना क्षीण हो जाती है.

चमकी बुखार मान कर किया जा रहा इलाज : अधीक्षक

मगध मेडिकल अस्पताल में अब तक भर्ती तेज बुखार से पीड़ित बच्चों की जांच रिपोर्ट नहीं आयी है. इन बच्चों को चमकी बुखार से ही पीड़ित मान कर इलाज किया जा रहा है. ये बातें मगध मेडिकल अस्पताल के अधीक्षक विजय कृष्ण प्रसाद ने रविवार को कहीं. उन्होंने कहा कि बीमारी से पीड़ित बच्चों का इलाज यहां सही ढंग से किया जा रहा है. कुछ जगहों पर थोड़ी दिक्कत आयी.

लेकिन, सारी परेशानी को दूर कर लिया गया है. डॉक्टर, नर्स व अन्य कर्मचारियों का रोस्टर तीन शिफ्ट में तैयार कर ड्यूटी बांट दी गयी है. अस्पताल में 11 बच्चों का इलाज किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सावधानी व जागरूकता की बदौलत बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.
बीमारी के थोड़े भी लक्षण बच्चों में दिखायी पड़ते ही इलाज के लिए नीम-हकीम के पास न ले जाकर अस्पताल पहुंचें. शुरुआती दौर में अगर पीड़ित बच्चे को अस्पताल लाया जाता है, तो बीमारी पर काबू पाना आसान हो जाता है.

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