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फतेहपुर सीएचसी में जली मिलीं खसरा-रूबेला वैक्सीन की शीशियां

फतेहपुर (गया) : फतेहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में खसरा-रूबेला टीके के लिए प्रयोग की जाने वाली वैक्सीन की सैकड़ों शीशियां गुरुवार की रात जली पायी गयीं. इसके अलावा आयरन, फाॅलिक एसिड व कैलशियम की भी कई दवाएं फेंकी हुई मिलीं, जो जली हुई थीं. इस संबंध में शुक्रवार की सुबह जानकारी मिलने पर कवरेज करने […]

फतेहपुर (गया) : फतेहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में खसरा-रूबेला टीके के लिए प्रयोग की जाने वाली वैक्सीन की सैकड़ों शीशियां गुरुवार की रात जली पायी गयीं. इसके अलावा आयरन, फाॅलिक एसिड व कैलशियम की भी कई दवाएं फेंकी हुई मिलीं, जो जली हुई थीं.

इस संबंध में शुक्रवार की सुबह जानकारी मिलने पर कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों को अस्पताल के पीछे पुराने पीएचसी कार्यालय के पास जली दवाएं मिलीं. खास बात यह कि इसमें से कोई भी दवा एक्सपायर्ड नहीं हुई थी. खसरा-रूबेला वैक्सीन की शीशियों पर 2021 व आयरन, फाॅलिक एसिड की दवा पर 2020 की एक्सपायरी डेट लिखी है.

पूरी घटना की सीएचसी प्रभारी डॉ अशोक कुमार को कोई जानकारी ही नहीं है. उन्होंने ऐसी किसी घटना के होने से साफ इन्कार कर दिया. अस्पताल कैंपस में जली हुई मिली दवाएं व प्रभारी को जानकारी नहीं होने की बात पूरी व्यवस्था पर सवाल है. अगर प्रभारी सच कह रहे हैं, तो फिर वह कौन लोग हैं, जो दवाओं को जला कर नष्ट कर रहे हैं.
या फिर इसमें सभी की मिलीभगत है. यह जांच का विषय है. गौरतलब है कि पूरे जिले में खसरा-रूबेला टीकाकरण का अभियान चल रहा है. इस गंभीर बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से प्रयास किये जा रहे हैं. ऐसे में अगर इन दवाओं को जला कर नष्ट किया जा रहा है, तो यह किसी संगीन अपराध से कम नहीं.
2013 में भी जलायी गयी थीं दवाएं
फतेहपुर स्वास्थ्य केंद्र में दवाओं को जला देने की यह कोई पहली घटना नहीं है. 21 अप्रैल 2013 में भी अस्पताल में मरीजों को बांटी जाने वाली दवाओं को इसी तरह से जला दिया गया था. इस घटना के अगले दिन मायापुर गांव में दो बोरों में भर कर दवा भेजे जाने की जानकारी मिली थी. घटना उजागर होने के बाद डीएम ने सिविल सर्जन को जांच की जिम्मेदारी दी थी.
जांच के दौरान ऐसी कई दवाएं मिलीं, जिसे जला दिया गया व उसकी एक्सपायरी डेट भी खत्म नहीं हुई थी. उस वक्त भी अस्पताल प्रभारी डाॅ अशोक कुमार ही थे. उक्त घटना के बाद उन्हें हटा दिया गया था. कुछ महीनों बाद फिर से उन्हें इसी अस्पताल में भेजा गया है.
देर शाम ही जांच के लिए पहुंचे अधिकारी
डीएम अभिषेक सिंह को जानकारी दिये जाने के बाद ही देर शाम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की एक टीम अस्पताल में जांच के लिए पहुंच गयी. अधिकारी यहां भेजी गयीं दवाअों का रजिस्टर से मिलान करने में लगे हैं. इधर, बात डीएम तक पहुंचने और उनके त्वरित एक्शन के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया.
सूत्रों के मुताबिक गलती पकड़ न ली जाये इसके लिए जिस जगह पर दवाओं को जलाया गया, वहां मिट्टी डाल कर भर दिया गया. जांच के लिए पहुंचे अधिकारियों ने पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण मिट्टी को नहीं हटवा पाये. सूत्रों की मानें, तो दवाअों को जलाने का यह काम पिछले कई दिनों से चल रहा है. अब जब इसकी जांच शुरू हो गयी है, तो सब मैनेज करने में लगे हैं.
सवाल तो यह भी उठ रहा है कि इन दवाओं को किसके आदेश पर जलाया गया. जबकि, दवाओं को नष्ट करने से पहले एक तय प्रक्रिया होती है और उसके लिए आदेश जारी होता है.

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