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अतिक्रमण हटाएं, आमलोगों से दुर्व्यवहार न करें

लोगों के साथ हो रहे अभद्र व्यवहार पर डीएम ने लिया नोटिस लोग कर रहे हैं शिकायत-राहगीरों को पीट रहे हैं पुलिसकर्मी गया : शहर में अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिसकर्मियों द्वारा लोगों के साथ दुर्व्यवहार किये जाने की जानकारी मिलने के बाद डीएम अभिषेक सिंह ने चेतावनी जारी कर दी है. उन्होंने अधिकारियों से […]

लोगों के साथ हो रहे अभद्र व्यवहार पर डीएम ने लिया नोटिस

लोग कर रहे हैं शिकायत-राहगीरों को पीट रहे हैं पुलिसकर्मी
गया : शहर में अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिसकर्मियों द्वारा लोगों के साथ दुर्व्यवहार किये जाने की जानकारी मिलने के बाद डीएम अभिषेक सिंह ने चेतावनी जारी कर दी है. उन्होंने अधिकारियों से इस मामले में बात की है. डीएम ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी प्रकार से पब्लिक को परेशान नहीं किया जा सकता और यह मंगलवार से ही सुनिश्चित किया जाना चाहिए. डीएम के मुताबिक, अभियान का नेतृत्व कर रहे एसडीओ सूरज कुमार सिन्हा को इस निर्देश का पालन करने व कराने का निर्देश दिया गया है. शहर में अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिसकर्मियों द्वारा लोगों के साथ किये जा रहे अभद्र व्यवहार पर भारी असंतोष है. पहले तो प्रशासन के डर से लोग इस दमन के बारे में बोल नहीं रहे थे, लेकिन अब धीरे- धीरे लोग सामने आ रहे हैं.
लोग बता रहे हैं कि किस तरह से पुलिसवाले आने-जानेवाले लोगों पर रौब दिखाने के लिए उन्हें पीट रहे हैं. जो पूछ रहा या विरोध कर रहा है, उसे घेर कर मार रहे हैं. इस अभद्र व्यवहार का नतीजा यह हुआ है कि जो लोग प्रशासन के अतिक्रमण हटाओ अभियान की सराहना कर रहे थे, वह भी नाराज हो गये हैं. हालांकि सोमवार को जन्माष्टमी की छुट्टी की बात कह प्रशासन ने अभियान नहीं चलाया, लेकिन मंगलवार से यह अभियान फिर से शुरू होगा.
मानवाधिकारों का हो रहा है उल्लंघन
शहर में अतिक्रमण हटाने के नाम पर प्रशासन द्वारा ज्यादती की जा रही है. कई स्थानों पर दुकानदारों द्वारा हटाये जा रहे सामान को भी खींच कर तोड़ दिया जा रहा है. अपने ही नागरिकों से मध्य युग के आक्रांताओं सा व्यवहार मानवाधिकार का उल्लंघन है. ये वह लोग हैं, जो गरीब और बेरोजगार हैं. सड़क के किनारे छोटी सी दुकान लगा कर अपने परिवार को पाल रहे हैं. उसे सुविधा के नाम पर तो कुछ नहीं मिलता. उल्टा स्थानीय रंगदार, पुलिसवाले, नगर निगम के कर्मचारी परेशान करते हैं. यह कैसा व्यवहार है ?
बृजनंदन पाठक, सामाजिक कार्यकर्ता
दूसरे दिन भी मिलीं कई लोगों की शिकायतें
दो दिन पहले मैं अपने कार्यालय से निकल किसी काम के लिए मिर्जा गालिब काॅलेज की ओर जा रहा था. इसी दौरान रास्ते पर अतिक्रमण हटाया जा रहा था. बड़ी संख्या में पुलिस के जवान थे. कुछ बड़ी गाड़ियां भी खड़ी थीं. ट्रैफिक क्लियर नहीं होने के कारण सड़क किनारे रुक गया. इसी दौरान मेरे मोबाइल पर एक काॅल आया, तो मैं बात करने लगा. इतने में एक पुलिस का जवान आया और बदतमीजी करने लगा. मुझे खींच कर ले गया, जहां ग्रुप में कुछ पुलिस के जवान खड़े थे. उन लोगों ने मुझ पर वीडियो बनाने का आरोप लगाते हुए मोबाइल मांगा. मैंने कहा कि मोबाइल मैं जरूर दूंगा, लेकिन किसी वरीय पदाधिकारी को, ताकि वह जांच कर संतुष्ट हो जायें. इतने में एक सिपाही ने झापड़ मारा. इसके बाद बाकी ने गाली-गलौज करते हुए डंडे से पीटना शुरू कर दिया. मैं पूछता रहा कि मार क्यों रहे हैं, लेकिन वह पीटते रहे. फिर कहा कि भाग जाओ नहीं तो अंदर डाल देंगे. यह कैसी अराजकता है? प्रशासन अतिक्रमण हटा रहा है, अच्छी बात है. लेकिन, इसके नाम पर राहगीरों के साथ अभद्र व्यवहार क्यों ?
दिवाकर कुमार, कार्यालय सहायक, जिला उपभोक्ता फोरम
गया में इन दिनों पुलिसिया रवैया पूरी तरह बर्बरतापूर्ण है. लोगों को बिना वजह पीटा जा रहा है. क्या पुलिसवाले भारतीय लोकतंत्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून को भूल गये हैं ? क्या अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार उद्घोषणा के अनुच्छेद पांच में उल्लेखित प्रावधानों को भूल गये हैं, जिसमें किसी को भी टाॅर्चर और अमानवीय व्यवहार करने से रोका गया है. क्या इन्हें नहीं मालूम कि भारतीय संविधान में अार्टिकल 21 में मानवों को जीने का अधिकार मिला है, क्यों इन्हें नहीं पता कि आर्टिकल 14 हमें कानून के समक्ष समानता का अधिकार देता है. फिर क्यों अतिक्रमण हटाने के नाम पर लोगों पर लाठियां बरसायी जा रही हैं. यह नहीं रुका, तो मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में पहुंचेगा.
भास्कर अग्रवाल, वरीय अधिवक्ता दिल्ली हाइकोर्ट सह मानवाधिकार कार्यकर्ता
दो दिन पहले काेर्ट से निकल कर घर जा रहा था. गांधी मैदान के पास अतिक्रमण हटाया जा रहा था. भीड़ थी तो गाड़ी धीमी कर दी. इतने में एक सिपाही ने अभद्र तरीके से मोटरसाइकिल आगे बढ़ाने को कहा. इस पर मैंने उससे कहा कि ऐसे क्यों बोल रहे हैं. इस पर उसने मुझ पर डंडा तान दिया. मैंने हाथों से रोक कर खुद का बचाव किया. इतने में वहां खड़े पुलिस के वरीय पदाधिकारी ने मुझे पहचाना और सिपाही को रोका. सवाल है कि मुझे पहचाना, तो छोड़ दिया. अगर कोई सामान्य व्यक्ति होता तो पीट देता. हम सभी अतिक्रमण हटाने के अभियान की सराहना कर रहे हैं. लेकिन, इस तरह का अभद्र व्यवहार लोगों के मन में प्रशासन के खिलाफ असंतोष पैदा करता है. मान लेते हैं कि लोगों के आने-जाने से अतिक्रमण हटाने में परेशानी हो रही है, तो यह पहले सोचना चाहिए. प्रशासन जिस रास्ते पर अतिक्रमण हटा रहा है, उधर ट्रैफिक को रोक कर रूट डायवर्ट कर देना चाहिए. लोग उधर से जायेंगे ही नहीं. जो लोग उस इलाके में हैं, उन्हें एक दिन पहले या सुबह सूचना देकर सचेत कर देना चाहिए. स्थिति नियंत्रण में रहे, इसके लिए धारा 144 भी लगा दिया जा सकता है. लेकिन, ऐसा कुछ भी नहीं है. इससे स्पष्ट है कि सब काम बिना तैयारी के हो रहे हैं.
राजीव नारायण, वरीय अधिवक्ता
कुछ दिन पहले स्टेशन रोड में अतिक्रमण हटाया जा रहा था. मुझे नहीं मालूम था. अचानक से देखा कि भीड़ लगी है. पुलिसवाले हैं, तो देखने चला गया. खड़ा ही था कि पुलिसवाले आये और पीटने लगे. कुछ सुनने को तैयार नहीं थे. शरीर में लगे चोट के इलाज में अब तक 500-600 रुपये खर्च हो गये हैं.
मुन्ना कुमार, स्टेशन रोड
स्टेशन रोड में अतिक्रमण हटाया जा रहा था. हम अपनी दुकान के पास खड़े थे. इतने में पुलिसवाले आये और पीटने लगे. कोई कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थे. बस पीटे जा रहे थे और भागने को कह रहे थे. किसी तरह से वहां से भाग कर खुद को सुरक्षित किया, पर समझ नहीं आया कि मुझे पीटा क्यों?
भोला कुमार, मालगोदाम रोड

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