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जिले में चाइल्ड लेबर की संख्या सर्वाधिक : यूनिसेफ

बोधगया : बोधगया के महाबोधि होटल में सोमवार को आकांक्षी जिला गया के विकास को लेकर यूनिसेफ के सहयोग से जिला प्रशासन द्वारा समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में आकांक्षी की प्रगति के मापदंड के लिए निर्धारित प्रत्येक इंडीकेटर्स की समीक्षा की गयी. इसमें आंकड़ों का विश्लेषण यूनिसेफ के द्वारा रखा गया, जिनमें […]

बोधगया : बोधगया के महाबोधि होटल में सोमवार को आकांक्षी जिला गया के विकास को लेकर यूनिसेफ के सहयोग से जिला प्रशासन द्वारा समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में आकांक्षी की प्रगति के मापदंड के लिए निर्धारित प्रत्येक इंडीकेटर्स की समीक्षा की गयी. इसमें आंकड़ों का विश्लेषण यूनिसेफ के द्वारा रखा गया, जिनमें उनके पदाधिकारियों ने इंडिकेटर वाइज अपना विवरण रखा.
सर्वप्रथम डीएम अभिषेक सिंह ने बैठक में पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के 115 आकांक्षी जिलों में गया को शामिल किया गया है, जिनमें 35 जिले एल डब्लू ई से प्रभावित रखे गये हैं व इन्हीं में गया को भी रखा गया है. दूसरे प्रकार की आकांक्षी जिला की श्रेणी में पिछड़े जिलों को शामिल किया गया है और तीसरे प्रकार की श्रेणी में प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ जिलों को शामिल किया गया है.
इन जिलों को 2022 तक सामान्य जिलों की केटेगरी से आगे बढ़ाते हुए तीव्र विकास वाले जिले बनाया जाना है. उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि इंडिया के बेस्ट डिस्ट्रिक्ट के पैरामीटर में गया शामिल है. लेकिन, अभी तक जो काम किये जा रहे हैं वह रूटीन वर्क जैसे काम किये जा रहे हैं. उन्होंने यूनिसेफ के प्रतिनिधियों से विशेष अनुरोध किया कि वे खुल कर प्रत्येक विभागों की कमियों को बतायें व अच्छा कार्य करने के उपाय भी सुझायें.
यहां अब भी 19 % हो रही होम डिलिवरी
यूनिसेफ के राजीव कुमार ने हेल्थ व एजुकेशन के संबंध में बताया. उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिला में 22 प्रकार के इंडिकेटर हेल्थ के हैं व नौ प्रकार के इंडिकेटर न्यूट्रीशन के रखे गये हैं और इस पर 30 प्रतिशत वेटेज दिया जाता है. गया में अभी भी 19 प्रतिशत प्रसव घरों में ही हो रहे हैं. इसे समाप्त करने की जरूरत है. उन्होंने आशा और एएनएम की ट्रेनिंग की जरूरत पर भी बल दिया ताकि घरों में होने वाले प्रसव की संख्या को घटाया जा सके.
डीएम ने बताया कि डोभी के करमौनी व मोहड़ा प्रखंड के गेहलौर में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना की गयी है. अक्तूबर 2018 तक पांच हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है. डीएम ने जिला प्रोग्राम पदाधिकारी को एक महीने के अंदर सभी सेविका व पर्यवेक्षिका को प्रशिक्षण दिलाने का निर्देश दिया.
बाल श्रम से मुक्त बच्चों को मिलते हैं 25 हजार रुपये
यूनिसेफ के मोहम्मद मंसूर द्वारा चाइल्ड प्रोटेक्शन पर विशेष जानकारी रखी गयी. इनमें चाइल्ड लेबर, ट्रैफिकिंग वाले बच्चे, नवजात फेंके गये शिशु, अविवाहित महिला द्वारा फेंके गये बच्चे, भागे हुए बच्चे, सेक्स एब्यूज वाले बच्चे शामिल हैं. उन्होंने बताया कि इन बच्चों के लिए सीडब्ल्यूसी, जेजेबी के साथ ही चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन भी बनाये गये हैं.
उन्होंने कहा कि गया जिला में चाइल्ड लेबर की संख्या सर्वाधिक पाई जाती है व इसके लिए जरूरी है कि जब उनका रेस्क्यू किया जाता है तो उन्हें पुनर्वासित किया गया या नहीं यह सूचना भी संग्रह किया जाना आवश्यक है. नीमचक बथानी, बेलागंज व मानपुर के क्षेत्र में एनजीओ का इंगेजमेंट होना चाहिए. इन क्षेत्रों से बाल श्रमिक ज्यादा ले जाये जाते हैं. सरकार द्वारा मुक्त कराये गये बच्चों को 25000 रुपये एकमुश्त में दिये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाल सुधार समिति का प्रखंड, पंचायत व वार्ड स्तर पर गठन किया जाना चाहिए.

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