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डीएमसीएच में बिना चीरा लगाये पहली बार सीबीटी से निकाला गया स्टोन

डीएमसीएच में पहली बार सोमवार को सर्जरी विभाग में अत्याधुनिक इआरसीपी (एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैन्क्रिएटोग्राफी) मशीन से एक मरीज के सीबीटी से स्टोन निकाला गया.

दरभंगा. डीएमसीएच में पहली बार सोमवार को सर्जरी विभाग में अत्याधुनिक इआरसीपी (एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैन्क्रिएटोग्राफी) मशीन से एक मरीज के सीबीटी से स्टोन निकाला गया. यह ऑपरेशन डॉ सुरेन्द्र कुमार की यूनिट में डॉ शरद कुमार झा व उनकी टीम ने किया. इस उपलब्धि पर चिकित्सकों ने एक-दूसरे को बधाई दी. चिकित्सकों के अनुसार इस नई सुविधा से पित्त नलिकाओं और अग्न्याशय से जुड़ी जटिल बीमारियों का इलाज अब बिना बड़े ऑपरेशन के संभव हो सकेगा. अस्पताल प्रशासन के अनुसार पटना आइजीआइएमएस के बाद डीएमसीएच में यह सुविधा उपलब्ध मिली है. अब ऐसे मरीजों को पटना जाने की बाध्यता से मुक्ति मिल गयी है.

क्या होती है इआरसीपी प्रक्रिया

चिकित्सकों के अनुसार इआरसीपी एक आधुनिक मेडिकल प्रक्रिया है. इसमें मरीज के मुंह के रास्ते एक लचीली नली यानी एंडोस्कोपी डाली जाती है. यह नली छोटी आंत तक पहुंचायी जाती है, जिससे पित्त नलिकाओं और अग्न्याशय से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को विशेष लाभ मिलता है. इस तकनीक से कई जटिल रोगों का इलाज बिना बड़े ऑपरेशन के संभव हो पाता है. इसके तहत जिन मरीजों की पित्त नली (कॉमन बाइल डक्ट) में पथरी होती है, उन्हें इआरसीपी से बड़ा लाभ होता है. इस प्रक्रिया से पथरी को बिना चीरा लगाए निकाला जा सकता है. वहीं पीलिया पित्त नली में रुकावट के कारण हुई, तो इआरसीपी के माध्यम से रुकावट को हटाकर पित्त का बहाव सामान्य किया जाता है. इसके अलावा अग्न्याशय की नली में सूजन, पथरी या संकुचन होने पर इआरसीपी द्वारा नली को खोला जा सकता है.

पूर्व में सर्जरी के माध्यम से उपचार

बताया जाता है कि अभी तक इस तरह के मरीजों को पटना आइजीआइएमएस या पीजीआइ चंडीगढ़ जाना पड़ता था. इससे मरीजों को आर्थिक, मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था. इआरसीपी मशीन लगने के बाद मरीजों को स्थानीय स्तर पर ही उन्नत इलाज उपलब्ध हो सकेगा.

लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं

चिकित्सकों का कहना है कि इआरसीपी प्रक्रिया अपेक्षाकृत कम समय में पूरी हो जाती है और मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता नहीं पड़ती. अस्पताल प्रशासन का मानना है कि यह पहल डीएमसीएच की चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को नई उंचाई देगी. मेडिकल छात्रों और जूनियर डॉक्टरों को आधुनिक तकनीक सीखने का अवसर मिलेगा.

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