दरभंगा.
संसद में डीएमके नेता दयानिधि मारन द्वारा संस्कृत भाषा के विरुद्ध दिए गए बयान पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने आपत्ति जतायी है. कहा है कि दुनिया को पता है कि संस्कृत सनातन की भाषा है. यह विश्व के अधिकांश देशों में बोली जाती है. संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं को पुष्ट करती है. इसलिय इसकी गुणवत्ता किसी से अधिक है. उन्होंने सांसद के बयान को सभी दृष्टिकोण से नकारते हुए कहा कि करुणानिधि, दयानिधि जैसे शब्द संस्कृत की ही उपज है. संस्कृत भारत की ज्ञान-परंपरा की आत्मा है. इस भाषा का विरोध करना भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं सभ्यता पर हमला करने के समान है.हर सनातनी को करना चाहिये विरोधकुलपति ने कहा कि सांसद की संस्कृत के प्रति ओछी सोंच की हर सनातनी को विरोध करना चाहिए. पीआरओ निशिकान्त के अनुसार कुलपति प्रो. पांडेय ने संस्कृत के संरक्षण व संवर्धन के लिए केंद्र सरकार और लोकसभा अध्यक्ष की सराहना की और आभार जताया. कुलपति ने कहा कि संस्कृत केवल अतीत की भाषा नहीं, बल्कि भविष्य की भी भाषा है. इसे संरक्षित करना हमारा सांस्कृतिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

