Darbhanga News: जाले. विश्व जल दिवस पर कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को किया गया. इसमें केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने कहा कि बदलते जलवायु में ग्लेशियर के पिघलने की वजह से स्वच्छ जल की कमी होती जा रही है. कृषि में सबसे अधिक पानी की खपत होती है, इसलिए जल संचयन व जल प्रबंधन के तरीकों को अपनाने पर जोर दिया जाना चाहिए. कृषि उत्पादन के साथ फसलों की वृद्धि और विकास के लिए पानी आवश्यक है. यह मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करता है. कृषि में उपयोग होने वाले रसायनों और उर्वरकों को घोलता भी है. इसलिए पानी के महत्व को समझें और जल संचयन और जल प्रबंधन के तरीकों को अपनायें. संचालन मृदा व जल अभियांत्रिकी विशेषज्ञ निधि कुमारी ने किया. बदलते जलवायु परिवर्तन में जल प्रबंधन को जरूरी बताया. उद्यानिकी विशेषज्ञ डॉ प्रदीप कुमार विश्वकर्मा ने सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली एवं इसके विभिन्न तकनीक की विस्तृत जानकारी दी. गृह विज्ञान विशेषज्ञ डॉ पूजा कुमारी ने कहा कि मोटे अनाज की खेती कम सिंचाई में भी हो सकती है. मौके पर कृषकों को केंद्र पर शून्य जुताई पद्धति द्वारा गेहूं की खेती, रेज्ड बेड पर गेहूं की खेती एवं सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली आदि का प्रक्षेत्र भ्रमण कराया गया.
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