Darbhanga News: दरभंगा. सीएम काॅलेज के उर्दू और फारसी विभाग की ओर से “उर्दू भाषा और साहित्य पर मिथिला संस्कृति का प्रभाव ” विषय पर आयोजित सेमिनार में प्रधानाचार्य प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि विश्व साहित्य के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि साहित्य उसकी क्षेत्रीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और किसी क्षेत्र विशेष का सांस्कृतिक इतिहास साहित्य के माध्यम से संकलित किया जा सकता है. प्रो. अहमद ने कहा कि कोई भी साहित्यकार एवं लेखक अपने परिवेश से अनजान नहीं रहता है. वह अपने काम में अपने परिवेश से प्राप्त प्रभावों को उजागर करता है. मिथिला की संस्कृति न सिर्फ आम जीवन में देखने को मिलती है, बल्कि इसकी झलक यहां के साहित्य में भी है. कहा कि इस विषय पर जो रखे जाने वाले विचारों का दस्तावेजीकरण किया जायेगा. इससे यह साबित हो सकेगा कि मिथिला के उर्दू के लेखकों और कवियों ने किस तरह यहां की सामाजिक व्यवस्था से बौद्धिक और सैद्धांतिक पूंजी हासिल की है. किस तरह एक विशेष क्षेत्र की सभ्यता साहित्य में पहचानी गई है. जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली के प्रो. नदीम अहमद ने कहा कि मिथिला के लेखकों ने मिथिला की विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत को पेश किया है. उसकी वजह से उर्दू साहित्य समृद्ध हुआ है. उर्दू के कवियों और कहानीकारों के साहित्य में पूरे मिथिला की झलक देखने को मिलती है.
मिथिला की संस्कृति ने दी उर्दू साहित्य को एक सांस्कृतिक पहचान- प्रो. जौहर
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. मुहम्मद अली जौहर ने कहा कि मिथिला की संस्कृति ने उर्दू साहित्य को एक सांस्कृतिक पहचान दी है. कहा कि सेमिनार का पूरे उर्दू जगत को लाभ मिलेगा, नई रोशनी मिलेगी. डीयू के प्रो. मुहम्मद काजिम ने बताया कि कैसे मिथिला की संस्कृति ने उर्दू कथा लेखकों और उपन्यासकारों को प्रभावित किया. कहा कि मिथिला की बोली और यहां की संस्कृति पर उर्दू कथा लेखक सोहेल अजीमाबादी, शाने मुजफ्फरपुरी, कौसर मजहरी आदि का प्रभाव महत्वपूर्ण है. प्रो. शाकिर खालिक ने भी विचार रखा. प्रारंभ में डॉ खालिद अंजुम उस्मानी ने सेमिनार के विषय के वैज्ञानिक और साहित्यिक महत्व पर प्रकाश डाला. संचालन डॉ फैजान हैदर तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ शबनम ने किया.
दो तकनीकी सत्र का हुआ आयोजन
उद्घाटन सत्र के अलावा दो तकनीकी सत्र हुआ. पहले सत्र में प्रो. नदीम अहमद, मुहम्मद अली जौहर, प्रो. आफताब अशरफ, प्रो. मुहम्मद इफ्तिखार अहमद, डॉ शाहनवाज आलम, डॉ करातुल ऐन, डॉ मुतिउर रहमान, डॉ अब्दुल हई, डॉ शबनम आदि ने शोधपत्र प्रस्तुत किये. दूसरे सत्र में डॉ नसरीन, डॉ मसरूर हादी, डॉ मुजाहिद इस्लाम, डॉ अलाउद्दीन खान, डॉ मुहम्मद मुसूफ रजा, डॉ जसीमुद्दीन, डॉ मनवर राही मुहम्मद समीउद्दीन खालिक, डॉ फैजान हैदर आदि ने लेख प्रस्तुत किये. इस अवसर पर एक पत्रिका का विमोचन भी किया गया.
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