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अंगरेजी, पाली व प्राकृत में भी शोध प्रबंध जमा कर पायेंगे विदेशी छात्र

दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि में कुलपति डॉ नीलिमा सिन्हा की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित शोध परिषद की बैठक में कई अहम निर्णय लिए गये. अब विदेशी छात्र अंगरेजी के अलावा पाली व प्राकृत भाषाओं में भी अपना शोध प्रबंध जमा कर सकेंगे. इसके पूर्व संस्कृत भाषा में लिखित शोध प्रबंध ही […]

दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि में कुलपति डॉ नीलिमा सिन्हा की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित शोध परिषद की बैठक में कई अहम निर्णय लिए गये. अब विदेशी छात्र अंगरेजी के अलावा पाली व प्राकृत भाषाओं में भी अपना शोध प्रबंध जमा कर सकेंगे. इसके पूर्व संस्कृत भाषा में लिखित शोध प्रबंध ही जमा करने की व्यवस्था थी. कुलपति ने बैठक के दौरान शोध कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत जतायी.
कुलपति की पहल पर प्राक शोध पाठ्यक्रम को सुचारु रूप से विभागों में एक साथ संचालित करने व पर्यवेक्षण के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गयी. कमेटी के संयोजक डॉ शशिनाथ झा बनाये गए. अन्य सदस्यों में डॉ प्रजापति त्रिपाठी, डॉ श्रीपति त्रिपाठी, डॉ शिवाकांत झा व डॉ विद्येश्वर झा शामिल हैं. इसके अलावा यूजीसी की शोध नियमावली 2009 के तहत पीएचडी करने वालों को प्रतिकुलपति के हस्ताक्षर से प्रमाण पत्र जारी करने का भी निर्णय लिया गया. करीब 10 गवेषकों द्वारा शोध पंजीयन अवधि विस्तार के दावे को परिषद ने खारिज कर दिया. वहीं 11 गवेषकों को दो बर्षों के लिए पंजियन अवधि विस्तार पर स्वीकृति दे दी गयी.
वेद, व्याकरण व आयुर्वेद संकायों के करीब 20 शोधार्थियों के शोध प्रारूप एवं पर्यवेक्षकों की स्वीकृति पर भी विचार किया गया.
बैठक में वीसी के अलावा शोध प्रभारी डॉ चौठी सदाय, पूर्व प्रभारी कुलपति डॉ उमेश शार्मा, अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ श्रीपति त्रिपाठी, सीसीडीसी डॉ शिवलोचन झा, कुलसचिव डॉ सुरेश्वर झा, सभी विभागाध्यक्ष व संकायाध्यक्ष के अलावा शोध परिषद के सभी सदस्य मौजूद थे. यह जानकारी विवि के पीआरओ निशिकांत प्रसाद सिंह ने दी है.

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